किस्म
प्रताप अजवाइन-1:-
अजवाइन फसल की यह नव विकसित किस्म विभिन्न वर्षा एवं स्थानों पर औसतन 850 से 900 किलोग्राम /हैक्टर बीज की उपज देती है जो स्थानीय किस्मों से लगभग 20 प्रतिशत अधिक है। इस किस्म में तेल की मात्रा 3.89 प्रतिशत है। यह किस्म स्थानीय किस्मों से लगभग 15 दिन पहले पक जाती है और यह पत्ता झुलसा रोग से मध्यम प्रतिरोधी है।
भूमि एवं तैयारी:-
दुमट या बलुई दुमट मिट्टी अच्छी रहती है। भूमि को 4-5 जुताईयाँ करके भुरभुरा कर छोटी-छोटी (3 X 3 मीटर) क्यारियाँ बना लेवें।
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अजवाइन की बुवाई:-
बुवाई का उपयुक्त समय अगस्त-सितम्बर है। प्रति हैक्टर 2.5 से 5 किलोग्राम बीज छिटकवाँ विधि से अथवा 15-20 सें.मी. दूर कतारों में बुवाई करें। कतारों में बोई गई फसल कें पौधे से पौधे की दूरी 20 सें.मी. रखें। छिटकवाँ विधि में बीजों को क्यारियों में छिटक कर मिट्टी पर हल्की रैक चला देवें, जिससे बीजों पर हल्की सी परत मिट्टी की आ जावे। अधिक मिट्टी होने पर अंकुरण अच्छा नहीं होता है।
खाद एवं उर्वरक:-
कारक (वर्षा, सिचित, असिचिंत, किस्म, उपयोगिता) | नाइट्रोजन किग्रा/ हैक्टर | फास्फोरस किग्रा / हैक्टर | पोटाश किग्रा / हैक्टर | अन्य |
सामान्य | 20 (टॉप ड्रेसिंग) | 8 | 15 | 15-20 टन FYM या कम्पोस्ट |
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निराई-गुड़ाई:-
खरपतवारों को न पनपने दें तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करते रहें। अजवायन फसल में खरपतवार नियंत्रण करने हेतु बुवाई के तुरन्त बाद 750 मिलीलीटर पेन्डीमिथेलीन प्रति हैक्टर के हिसाब से छिड़काव करें तथा 30 दिन बाद उगने वाले खरपतवार का अंतरशस्य द्वारा निकालें।
अजवाईन की फसल में सामान्य खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 50 ग्राम आक्सीडायरजिल सक्रिय तत्व प्रति हैक्टर बुवाई के 20 से 25 दिन बाद 400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें।
पौध संरक्षण:-
फसल में मोयला कीट व छाछया रोग का प्रकोप पाया गया है।
मोयला (एफिड्स):-
मैलाथियॉन 5 प्रतिशत चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति है० भुरकाव करें अथवा मैलाथियान 50 ई.सी. अथवा डाईमेथोएट 30 ई.सी. एक लीटर प्रति है० की दर से घोल बनाकर प्रयोग करें।
छाछ्या (पाउडरी मिल्ड्यू):-
लक्षण दिखाई देते ही कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. या ट्राइडेमोर्फ 50 प्रतिशत 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद इसे फिर दोहरायें।
उखटा (विल्ट):-
किसी-किसी खेत में यह बीमारी भी पायी जाती है। उपयुक्त फसल चक्र अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है।
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कटाई:-
जनवरी माह तक फसल पक जाती है तब इसकी कटाई कर लेवें।
उपज:-
अच्छी तरह खेती करने पर प्रति हैक्टर 7-8 क्विंटल बीज की उपज प्राप्त हो सकती है।