अजोला बारानी क्षेत्र के लिए हरे चारे का दूसरा स्रोत अजोला घास है। हरे चारे की कमी की पूर्ति हेतु दुधारू पशु के पशु आहार में दाने की मात्रा की वृद्धि की जाती है। ऐसे में “अजोला फर्न” अधिक मांग एवं व्यवसायिक दाना मिश्रण का सस्ता एवं बेहतर विकल्प हो सकता है। अजोला न केवल दुधारू पशुओं के लिए सस्ता एवं पौष्टिक आहार हैं बल्कि बकरी, भेड़, मुर्गी, खरगोश, मछली के लिए पौष्टिक आहार है।
अजोला का रासायनिक संगठन (Chemical Organization of Azolla) | |
पोषक तत्व अजोला में (Nutrients in Azolla) | प्रतिशत मात्रा (percentage volume) (शुष्क भार के आधार पर) (on dry load basis) |
प्रोटीन | 21.4-30.0 |
रेशा | 12.7-15.5 |
ईथर | 2.5-3.5 |
राख | 14.5-16.2 |
एन.एफ.ई. (नाइट्रोजन मुक्त सत) | 42.8-47.0 |
खनिज तत्व | |
कैल्शियम | 0.95-1.16 |
फॉस्फोरस | 1.00-1.29 |
पोटेशियम | 1.25-3.80 |
मैग्नीशियम | 0.35-0.50 |
अति सूक्ष्म तत्व (पी.पी.एम.) | |
मैग्जीन | 89-174 |
जिंक | 87-125 |
तांबा | 16-39 |
लोहा | 400-755 |
सोडियम | 23-45 |
अजोला के गुण – Properties of Azolla
यह जल में तीव्र गति से बढ़वार करती है।
- यह प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी12 तथा विटामिन बीटा कैरोटीन) विकास में सहायक तत्व एवं कैल्शियम, फास्फोरस, फेरस, कॉपर, तथा मैग्नीशियम से भरपूर है।
- इसमें उत्तम गुणवत्ता युक्त प्रोटीन कम होने के कारण पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं।
- शुष्क वजन के आधार पर इस में 20 से 30% प्रोटीन, 2.0 से 30% वसा, 50 से 7.0% खनिज तत्व, 10 से 13% रेशा, बायो-एक्टिव पदार्थ एवं बायो-पॉलीमर पाए जाते हैं।
- यह कम मेहनत व कम लागत में पैदा किया जा सकता है।
- यह औसतन 15 किग्रा प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रति सप्ताह में उपज देता है।
- सामान्य अवस्था में यह फर्न 3 दिन में दोगुनी हो जाती है।
- यह जानवरों के लिए प्रतिजैविक का कार्य करता है।
- पक्षियों के लिए आदर्श आहार के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद के रुप में भी प्रयुक्त है।
- अजोला उत्पादन तकनीक किसी छायादार स्थान पर 61 * 10 * 02 मीटर आकार की क्यारी खोदे।
- क्यारी में 120 गेज की सिलपुलिन शीट को बिछाकर ऊपर के किनारे पर मिट्टी का लेप कर व्यवस्थित कर दें।
- सिलपुलिन शीट को बिछाने की जगह पशुपालक पक्का निर्माण कर क्यारी तैयार कर सकते हैं।
- 80 से 100 किलोग्राम साफ उपजाऊ मिट्टी की परत क्यारी में बिछा दे।
- 5 से 7 किलो गोबर (दो-तीन दिन पुराना) 10 से 15 लीटर पानी में घोल बनाकर मिट्टी पर फैला दे।
- क्यारी में 400 से 500 लीटर पानी भरे जिससे क्यारी में पानी की गहराई लगभग 10 से 12 सेमी. तक हो जाए।
- अब उपजाऊ मिट्टी व गोबर खाद को जल में अच्छी तरह मिश्रित कर देवें।
- इस मिश्रण पर 2 किलो ताजा अजोला को फेल्डा देवे। उसके पश्चात 1 लीटर पानी को अच्छी तरह से अजोला पर छिड़के जिससे अजोला अपनी सही स्थिति में आ सके।
- अब 50% छायादार हरी नायलॉन जाली से ढककर 15-20 दिन तक अजोला को वृद्धि करने दें।
- 21वें दिन औसतन 1.5- 20 किलोग्राम की उपज प्रतिदिन प्राप्त की जा सकती है।
- अच्छी उपज प्राप्त करने हेतु 20 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 5.0 किलोग्राम गोबर की घोल बनाकर प्रति माह अजोला क्यारी में मिलावे।
रख-रखाव एवं सावधानियां (Maintenance and Precautions)
- क्यारी में जल स्तर को 10 से 12 सेमी तक बनाए रखें।
- प्रत्येक 3 माह पश्चात् अजोला फर्न को हटाकर पानी और मिट्टी बदले तथा नै क्यारी के रूप में दोबारा पुनः संवर्धन करें।
- अजोला की अच्छी बढ़वार हेतु 20 से 35 डिग्री तापक्रम एव 5.5-7.5 मृदा पी.एच. उपयुक्त रहता है। यदि मिट्टी का पी.एच. इससे से ज्यादा हो तो प्रति क्यारी 2 से 3 किलोग्राम जिप्सम डाल देना चाहिए।
- शरद ऋतु में तापक्रम 6 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे आने पर प्लास्टिक बोरी की चादर से ढककर पाले से बचाएं।
अजोला खिलाने की विधि (Method of feeding Azolla)
- इस प्रकार प्राप्त अजोला को अच्छी तरह तीन चार बार पानी से धोकर गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गियों एवं मछलियों को खिला सकते हैं।
- 2.0 से 2.5 किलो ताजा अजोला को बांट के साथ मिला दुधारू पशुओं को खिलाने से 15% तक दुग्ध उत्पादन बढ़ता है तथा दूध में वसा की मात्रा भी बढ़ती है।
- मुर्गियों को 10 से 20 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों के शारीरिक बाहर एवं अंडा उत्पादन क्षमता में 10 से 15% की वृद्धि होती है।
- भेड़ एवं बकरियों को 100 से 200 ग्राम ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दूध उत्पादन में वृद्धि तथा आर्थिक लाभ मिलता है।
- क्यारी से अजोला हटाए जाने के बाद पानी एवं मिट्टी को फसलों सब्जियों एवं पुष्प खेती में उपयोगी पाया गया है। हटाया गया पानी एक वृद्धि नियामक का कार्य करता है तथा मिट्टी नत्रजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, एवं सूक्ष्म तत्वों से भरपूर होती है, इसके उपयोग से फसलों, सब्जी एवं फलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।
- अजोला उत्पादन प्रति इकाई प्रतिवर्ष (लगभग) 50 किलोग्राम
अजोला एक उत्तम खेती एवं खाद के रूप में कार्य करता है। कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी प्राप्त कर कर अपने दुधारू पशुओं को अजोला खिलाएं जिससे उनके स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन में सुधार हो तथा पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए कम लागत में उत्तम गुणवत्ता युक्त पूरक आहार मिल सके।
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प्रस्तुति
डॉ. रणजीत सिंह राठौड़, सहायक प्राध्यापक (पशुपालन),
डॉ. आ.र.के. वर्मा, प्राध्यापक (कृषि प्रसार),
अनुज पूनिया, वरिष्ठ अनुसंधान अध्येयता (उद्द्यान विज्ञान),
कृषि विज्ञान केंद्र, आबूसर झुंझुनू (राज.)