कपास एक नकदी फसल हैं जिसकी उन्नत विधियों से खेती एवं कीट प्रबंधन कर किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। कपास के प्रमुख कीट की सूची इस प्रकार हैं:-
हरा तेला, सफेद मक्खी, टिंडा छेदक कीट/चितकबरी सूड़ी, अमेरिकन सूड़ी, गुलाबी सूड़ी, तम्बाकू लट आदि।
हरा तेला:-
कपास की पत्तियों की निचली सतह पर शिराओं के पास बैठकर रस चूस कर हानि पहुंचाता हैं जिससे पत्तियों के किनारे हल्के पिले पड़कर पत्तियां किनारों से निचे की तरफ मुड़ने लगती हैं।
कीट प्रबंधन:-
कीट रोधी किस्में:- आरएसटी-9, बीकानेरी नरमा, आर.एस. 810
जैविक नियंत्रण:-
10 हजार प्रति बीघा की दर से परभक्षी को फूल अवस्था में पुनः दोहराये।
रासायनिक नियंत्रण:-
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल.-02 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
- एसीफेट 75 एस. पी. 20 ग्राम प्रति लीटर पानी
- डाईमिथोएट 30 ईसी 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
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सफेद मक्खी:-
यह पत्तियों की निचली सतह से रस चूसती हैं साथ ही शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं जिसके ऊपर फफूंद उत्पन्न होकर बाद में पत्तियों को कला कर देती हैं।
कीट प्रबंधन:-
कीट रोधी किस्में:-
बीकानेरी नरमा, मरुविकास, आर.एस.-875
यांत्रिक नियंत्रण:-
8 से 12 येलो स्टिकी ट्रेप (खाली पीपों पर पीला पेंट व अरंडी के तेल लगाकर) प्रति बीघा की दर से फसल कीट के सक्रिय काल में लगाये।
जैविक नियंत्रण:-
परभक्षी क्राइसोपा 12 हजार प्रति बीघा की दर से छोड़े। आवश्यकता पड़ने पर परभक्षी को फूल अवस्था में पुनः दोहरावे।
रासायनिक नियंत्रण:-
1.नीम युक्त, तरल, साबुल,(5 मि.ली. +1मी.ली.) प्रति लीटर पानी,
2. तिल का तेल+तरल साबुन (12.5 मिली+ 1 मी.ली.) प्रति लीटर
3. ट्राइजोफोस 40 ई.सी. (2.5) मिलीलीटर प्रति लीटर पानी)
4. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. (0.3 मिली लीटर प्रति लीटर पानी)
5. मिथाइल डिमेटोन 25 ई.सी. (2.0 मिली प्रति लीटर पानी)
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टिण्डा छेदक कीट/चितकबरी सुंडी:-
प्रारम्भ में लटे तने एवं शाखाओं के शीर्षस्थ भाग में प्रवेश कर उन्हें खाकर नष्ट करती हैं तत्पश्चात कीट उन पर आक्रमण कर देती हैं, जिसके फलस्वरूप कीट ग्रसित फलिय भाग काफी तादाद में जमीन पर गिर जाते हैं।
कीट प्रबंधन:-
यांत्रिक नियंत्रण:-
फसल में कीट ग्रसित तने एवं शाखाओं के शीर्षस्थ भागों को तोड़ एवं जलाकर नष्ट कर देना चाहिए। 5 से 10 फ़ेरेमोन ट्रेप (लिंग आकर्षक) प्रति हेक्टेयर नर पतंगों का पता एवं उनको नष्ट करने हेतु लगायें।
यांत्रिक नियंत्रण:-
5 लिंग आकर्षण जाल (फ़ेरेमोन ट्रेप) प्रति हेक्टेयर नर पतंगों क नष्ट करने हेतु लगाये। ऐसे सभी फूल जिनकी पंखुड़ियां ऊपर से चिपकी हो (रोसेटिड बलूम) उन्हें हाथ से तोड़कर उनके अंदर मौजूद गुलाबी सुंडियों को नष्ट किया जा सकता हैं। यह प्रक्रिया सप्ताह में कम से कम एक बार अवश्य करें।
रासायनिक नियंत्रण:-
- साइपरमेथ्रिन 25 ई.सी.- 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
- सापरमेथ्रिन 25 ई.सी.- 0.4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
- कार्बेरिल 50 डब्ल्यू.पी.- 4.5 ग्राम प्रति लीटर पानी
- ट्राइजाफॉस 40 ई.सी.- 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
- मेलाथियोंन 50 ई.सी.- 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी
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कपास में तम्बाकू लट:-
तम्बाकू की लट बहुत ही हानिकारक कीट हैं। इसकी लटें पौधों की पत्तियां खाकर जालीनुमा बना देती हैं व कभी-कभी पौधों को पत्तियां रहित कर देती हैं। कपास पर यह कीटर कलियों, फूलों तथा कभी-कभी टिण्डों में काफी नुकसान पहुंचाता हैं। इस लट का प्रकोप मध्य अगस्त से अक्टुम्बर माह तक बना रहता हैं।
कीट प्रबंधन:-
शस्य एवं यांत्रिक नियंत्रण:-
ट्रेप फसल:- खेत बॉर्डर पर अरण्ड की फसल लगायें।
साठी खरपतवार का नियंत्रण:- यह खरपतवार तम्बाकू लट के लिए प्रमुख पोषक पौधा हैं व इस लट की शरण स्थली हैं, अतः इसको खेत में न पनपने दें।
अण्ड समूल का नष्ट करना:– यह कीट अंडे पौधों की पत्तियों के निचे समूह में देता हैं, अतः हाथ से अंडे के समूह को एकत्र करके नष्ट करना चाहिए।
लट्टों को इकठ्टा करना:– लटों को हाथ से इकठ्टा करके नष्ट कर देना चाहिए।
फ़ेरेमोन ट्रेप:– प्रौढ़ कीट (पतिंगो) को फ़ेरेमोन ट्रेप लगाकर पकड़ा जा सकता हैं अतः 10 ट्रेप प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में लगाने चाहिए।
प्रकाश प्रपंच:– प्रौढ़ पतंगे रात्रिचर होते हैं तथा प्रकाश की और आकर्षित होते हैं अतः खेत के चारों तरफ प्रकाश प्रपंच लगाकर उन्हें नियंत्रित करना चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण:-
नुवाल्यूरोन 10 ई.सी. -1.0 मिली प्रति लीटर पानी
इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी.- 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी
नोट:-
कीटनाशक दवाओं को छिड़काव के लिये पानी की मात्रा 75, 100, 125 व 150 लीटर प्रति बीघा फसल की अवस्था के अनुसार उपयोग में लाने की सिफारिश की जाती हैं।
जैविक नियंत्रण:-
परभक्षी क्राइसोपा 12 हजार प्रति बीघा की दर इ छोड़ें। आवश्यकता पड़ने पर परभक्षी को फूल अवस्था में पुनः छोड़ें।
रासायनिक नियंत्रण:-
- फेनवेलरेट 20 ई.सी. – 1.0 मिली प्रति लीटर पानी
- मेलाथियान 50 ई.सी. -2.0 मिली प्रति लीटर पानी
- क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. – 5.0 मिली प्रति लीटर पानी
- क्यूनालफास 25 ई.सी. – 2.0 मिली प्रति लीटर पानी
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कपास में अमेरिकन सुंडी:-
कपास के पौधों में फलिय भाग उपलब्ध न होने पर पत्तियों को खाकर एवं गोल-गोल छेद कर नुकसान करती हैं। लट ग्रसित कलियां एवं टिंडों में सुराख़ चितकबरी सुंडियों के सुराख़ से अपेक्षाकृत बड़े (२से३ मिलीलीटर) आकार के होते हैं। फूल एवं टिंडों के अंदर नुकसान करती हुई लटों का मल पदार्थ फल भागों के बाहर निकला हुआ दिखाई देता हैं।
कीट प्रबंधन:-
यांत्रिक नियंत्रण:-
प्रौढ़ नर पतंगों की प्रति हैक्टेयर 5 लिंग आकर्षक पाश (फेरोमोन ट्रेप) की दर से लगाकर कीट के आगमन का पता किया जा सकता हैं।
प्रकाश पाश (लाईट ट्रेप) को सूर्य अस्त होने के दो घंटों बंद तथा सूर्योदय के दो घण्टे पूर्व जलाकर प्रौढ़ पतंगों को आकर्षित कर नष्ट किया जा सकता हैं। अंडे व छोटी-बड़ी सुंडियों को मजदूरों की मदद से सप्ताह में एक या दो बार हाथ से चुनकर नष्ट किया जा सकता हैं।
जैविक नियंत्रण:-
परजीवी ट्राइकोग्रामा 40 से 50 हजार प्रति बीघा की दर से फेरोमोन ट्रेप के अंदर प्रौढ़ एवं फसल में अंडे दिखाई देने पर ही छोड़े। परभक्षी क्राइसोपा 10 से 12 हजार प्रति बीघा की दर से फसल के पत्तों पर अंडे दिखाई देने पर छोड़ें।
न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस वायरस (एन.पी.वी.)0.75 मिलीलीटर (एल.ई.) प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। वायरस की मारक क्षमता केवल दूसरी एवं तीसरी अवस्था की सुड़ियों पर अधिक रहती हैं।
रासायनिक नियंत्रण:-
- नीम युक्त दवा (300 पि.पि.एम.)/5.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी कर दर से छिड़के।
- क्लुनालफॉस 25 ई.सी. -2.0 मिली प्रति लीटर पानी
- मेलाथियान 50 ई.सी. -2.0 मिली प्रति लीटर पानी
- डेल्टामेथ्रिन 2.8 ई.सी. -1.0 मिली प्रति लीटर पानी
- इथीयान 50 ई.सी. -3.0 मिली प्रति लीटर पानी
- क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. -5.0 मिली प्रति लीटर पानी
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