कृषि योजनाएं

कस्टम हायरिंग योजना एवं अनुदान राजस्थान में

Written by Vijay Gaderi

लघु एवं सीमांत कृषकों तक कृषि मशीनरी का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा “सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन” के अंतर्गत एक अभिनव योजना “कस्टम हायरिंग केंद्र” (custom hiring) शुरू की गई।

कस्टम हायरिंग योजना

इन केंद्रों के माध्यम से राज्य के कृषक विशेष रूप से लघु एवं सीमांत कृषक अपनी आवश्यकता के अनुसार कृषि यंत्र उपकरण किराए पर प्राप्त कर सकते हैं।

इनकें द्रों में खेती से जुड़े विभिन्न काम जैसे खेत की जुताई, बीज की बुवाई, पौध संरक्षण एवं फसल कटाई से संबंधित उन्नत कृषि यंत्रों को स्थानीय मांग के आधार पर रखा जा सकता है तथा केंद्र आस-पास के गांव में कृषि यंत्रों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।

आदर्श स्थिति में कस्टम हायरिंग केंद्र के द्वारा 10 वर्ग किमी के क्षेत्र में उन्नत कृषि यंत्रों की सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

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कस्टम हायरिंग योजना के मुख्य उद्देश्य:-

  • कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना।
  • अत्याधुनिक तथा मांगे कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराना।
  • लघुए वं सीमांत कृषकों को कृषि यंत्रीकरण के लिए प्रोत्साहित करना।
  • उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाना।

अनुदान:-

  • भारत सरकार की सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर्स (फार्म मशीनरी बैंक फॉर कस्टम हायरिंग, कस्टम हायरिंग हेतु उच्च प्रौद्योगिकी उत्पादक उपकरण केंद्र) की स्थापना के लिए लागत का 40% तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।
  • 25 लाख से ज्यादा लागत के कस्टम हायरिंग सेंटर (फार्म मशीनरी बैंक फॉर हायरिंग कस्टम, हायरिंग हेतु उच्च प्रौद्योगिकी उत्पादन उपकरण केंद्र) स्थापित कराने हेतु बैंक से ऋण लेना अनिवार्य है।
  • यह योजना है जिसमें बैंक एंडेड सब्सिडी अनुदान का भुगतान ऋण स्वीकृति करने वाले बैंक को किया जाएगा। योजना अंतर्गत प्रकरणों को बैंक द्वारा एम.एस.ई.के अंतर्गत स्वीकृत किया जाएगा।

योजना का क्रियान्वयन:-

  • राज्य के सभी जिलों में कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना की जा रही हैं। कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना हेतु विभाग के जिला स्तरीय कार्यालय द्वारा प्रस्तावित प्रस्तावों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार स्वीकृत किया जाता है।
  • फार्म मशीनरी बैंक फॉर कस्टम हायरिंग के द्वारा कम से कम 300 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रति सीजन में कृषकों को सुविधा प्रदान करने हेतु सक्षम होना चाहिए।
  • योजना अंतर्गतक्रय किए गए ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनों से न्यूनतम 06 (कस्टम हायरिंग) सेवाएं प्रदान करनी आवश्यक होगी।
  • इस अवधि के पूर्ण हो जाने की स्थिति में भी कृषकों को कस्टम हायरिंग सेवा अवधि के पूर्व बैंक ऋण अदा हो जाने की स्थिति में भी कृषकों को कस्टम हायरिंग सेवाएं दी जानी आवश्यक होगी।

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उपलब्ध यंत्र:-

फार्म मशीनरी बैंक फॉर कस्टम हायरिंग की एक इकाई हेतु निम्नानुसार यंत्र उपकरण रखे जा सकते हैं:-

  1. एक ट्रैक्टर
  2. 1 सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल
  3. एक डिस्क थ्रो अथवा डिस्क हैरो
  4. कल्टीवेटर एक रोटावेटर
  5. एक ट्रैक्टर चलित रीपर
  6. एक मल्टीक्रॉप थ्रेशर

कस्टम हायरिंग केंद्र पर स्थानीय मांग आवश्यकता के अनुसार ट्रैक्टर के साथ रखे जाने वाले कुछ उन्नत कृषि यंत्रों जैसे रिवर्सिबल रोटावेटर, डिस्कहैरो, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर कमबाइंडर, रेड बेड प्लांटर,  लेजर लैंड लेवलर इत्यादि का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है:-

रिवर्सिबल प्लो:-
  • इसे पलटी प्लो भी करते हैं। इसके द्वारा खेतों की गहरी जुताई 10 से 12 इंच गहरी की जाती है। जुताई कार्य में साधारण एम.बी.प्लो की अपेक्षा लगभग ३०% डीजल एवं समय की बचत होती है।
  • एक बार गहरी जुताई से उत्पादन में लगभग 15 से 20% तक वृद्धि होती है।
  • कीमत – अनुमानित लागत ₹55000
रोटावेटर:-
  • 4 से 5 इंच तक की जुताई।
  • एक ही बार में खेत तैयार।
  • समय में 50% तक की बचत।
  • परंपरागत विधि की तुलना में प्रति हेक्टेयर 1000 से 1000 तक की बचत।
  • उत्पादन में 10% कीवृद्धि।
  • बायोमास भूमि में उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी।
डिस्क हैरो:-
  • यह जमीन की तैयारी का यंत्र है।
  • जमीन की प्रारंभिक तैयारी करने के उपरांत सीड बेड (मिट्टी भुरभुरी तथा एक समान सतह करने) की तैयारी के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
  • सामान्य खेत की तैयारी के लिए ट्रैक्टर घूमते हुए चलाया जाता है, जिससे मिट्टी के सभी ढेले टूटकर एक जैसी सतह बन जाती हैं।
जीरो टिल सीड ड्रिल:-
  • इससे खेत की तैयारी किए बिना बुवाई संभव है।
  • धान की कटाई के तत्काल बाद खेत में उपलब्ध नमी का उपयोग करते हुए गेहूं की बुवाई संभव है।
  • खेत की तैयारी में लगने वाले समय एवं लागत की 1000 से 1500 तक का लाभ होता है।
रिज-फरो सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल:-
  • सोयाबीन एवं खरीफ फसलों (धान को छोड़कर) की बुवाई के लिए उपयुक्त हैं।
  • कम पानी में सिंचाई तथा अधिक वर्षा होने पर निकासी संभव है।
  • इससे खेत में अधिक समय तक नमी रहती हैं।
  • उत्पादन में 10% की वृद्धि होती है।
  • कीमत – इसकी अनुमानित लागत 40,000 हैं।

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