खरीफ की फसलों में खासतौर से दलहनी फसलों में कातरा का प्रकोप होता है। इस कीट की लट वाली अवस्था ही फसलों को नुकसान करती हैं। इसका नियंत्रण निम्न प्रकार से करना चाहिए।
कातरा के पतंगे का नियंत्रण:-
मानसून की वर्षा होते ही पतंगों का जमीन से निकलना शुरू हो जाता है। इन पतंगों को नष्ट कर दिया जाए तो फसलों में कातरा की लट का प्रकोप बहुत कम हो जाता है। इसकी रोकथाम प्रकाश क्रिया से संभव है। इसके लिए निम्न उपाय करें:-
पतंगों को प्रकाश की ओर आकर्षित करे:-
- पतंगों को प्रकाश की ओर आकर्षित कर खेतों की मेड़ों, चरगाहों व खेत में गैस लालटेन या बिजली का बल्ब (जहां बिजली की सुविधा हो) जलाए तथा इसके नीचे मिट्टी के तेल में पानी का बर्तन रखें ताकि रोशनी पर आकर्षित पतंगे पानी में गिर कर नष्ट हो जाए।
- खेतों के पास कचरा जलाए
- जगह-जगह घास कचरा एकत्रित कर जलाये जिससे पतंगे रौशनी पर आकर्षित हो जाए एवं जलकर नष्ट हो जाए।
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कतरा की लट का नियंत्रण:-
कतरा की छोटी अवस्था:-
खेतों के पास उगे जंगली पौधे एवं जहाँ फसल उगी हो वहां पर अण्डों से निकली लटें एवं इसकी प्रथम व द्वितीय अवस्था में क्यूनालफॉस 1.5% या मिथाइल पैराथियान 2% चूर्ण दवा का 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें।
बंजर जमीन या चरागाह में जंगली पौधों से खेतों की फसलों पर कातरे की लट आगमन को रोकने के लिए खेत के चारों तरफ खइया खोदकर इसमें मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण भुरक दीजिए, ताकि खाई में आने वाली लटें नष्ट हो जाए।
कातरा की बड़ी व्यवस्था:-
- खेतों में लटें चुन-चुन कर एवं एकत्रित कर मिट्टी के तेल (5%) मिले पानी में डालकर नष्ट करें।
- निम्नलिखित दवाइयों में से किसी एक का भुरकाव/छिड़काव करें।
- मिथाइल पैराथियान 2% या क्यूनालफॉस 1.5% या फोसलॉन 4% या कार्बोरील 5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर का भुरकाव करें।
- जहां पानी उपलब्ध हो वहां डाइक्लोरोवास 100 ई.सी. 300 मि.ली. या मिथाइल पैराथियान 50 ई.सी. 750 मि.ली. या क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 625 मि.ली. या क्लोरोपायरिफॉस 20 ई.सी. 1 लीटर का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
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