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कृषि विपणन योजना महत्व एवं लाभ

कृषि विपणन योजना
Written by Vijay Gaderi

कृषक साथी योजना के तहत विभिन्न प्रकार के कृषि कार्य करते हुए मृत्यु होने पर रु.2 लाख व अंग-भंग होने पर रु.50 हजार की सहायता देय। (कृषि विपणन)

फसलोत्तर प्रबंधन हेतु किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कृषि विपणन विभाग (Agriculture Marketing Board) द्वारा पैक हॉउस का निर्माण कराया गया हैं। कृषक आवश्यकतानुसार अपनी फसल- सब्जियों को अलग-अलग तापमान पर भंडारित कर उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। संभाग में जिलें में चित्तौडग़ढ़ की निम्बाहेड़ा मंडी में 1 पैक हॉउस बनाया हैं।

कृषि विपणन योजना

फसल सब्जियों में तुड़ाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रिय कृषि उपज विकास योजना के तहत उदयपुर जिले में 1 कोल्ड स्टोर का निर्माण कराया गया हैं।

फसल- सब्जियों व अन्य कृषि जिंसों के विदेशों में हवाई मार्ग से निर्यात कों को प्रोत्साहित कर किसानों को उपज का मूल्य संवर्धन करने के उद्देश्य से वायुयान में लदान तक गुणवत्ता एवं ताजगी बनाये रखने के लिए जयपुर एयरपोर्ट पर वॉक -इन-कुल चैंबर संचालित किया जा रहा हैं। बोर्ड में 100 रूपये मात्र फ़ीस जमा करा कोई भी पंजीयन कराकर इस सुविधा का निशुल्क लाभ ले सकता हैं।

एक ही छत के निचे किसानो व व्यापारियों की समस्याओं के समाधान हेतु एग्रोट्रेड टावर का निर्माण कराया गया हैं।

कृषकों व व्यपारियों को प्रशिक्षण के साथ-साथ स्थानीय मसाला किस्मों निर्यात योग्य किस्म विकसित करने हेतु कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से कृषि निर्यात जॉन की स्थापना की गई है।

सभी जिल्ला मुख्यलयों पर किसान भवन निर्मित किये गये हैं, जहां पर किसानों को सस्ती दर पर ठहरने व भोजन की सुविधा उपलब्ध हैं।

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राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं राशि विपणन प्रोत्साहन निति- 2015:-

इसका मुख्य उद्देश्य कृषकों की आय में वृद्धि, फसलोत्तर हानि में कमी, कृषि प्रसंस्करण एवं विपणन तकनीकी का समावेश स्थानीय तथा अंतराष्ट्रीय बाजार में राज्य की पहचान बनाने, रोजगार का सर्जन एवं कृषि प्रसंस्करण में निजी निवेश को आकर्षित करना हैं।निति के तहत नये उद्योगों की स्थापना एवं नीति अवधि में उद्योगों के विस्तार, आधुनिकीकरण एवं विविधीकरण तथा रुग्ण इकाइयों के पुनरुद्धार पर प्रोत्साहन राशि देय हैं।

फसलोत्तर प्रबंधन इकाई हेतु 5% ब्याज एवं अनुदान के रूप में 5 वर्ष तक रु. 5 लाख प्रतिवर्ष अधिकतम।

50% इकाई पर उपकरण स्थापना हेतु प्रवेश शुल्क में रियायत।

कृषि प्रसंस्करण (निवेश रु. 25 लाख तक)

30% पूंजी अनुदान के रूप में वेट एवं केंद्रीय बिक्री कर 7 वर्ष तक जमा कराने पर।

20% रोजगार अनुदान के रूप में वेट एवं केंद्रीय बिक्री कर 7 वर्ष तक जमा कराने पर।

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कृषि प्रसंस्करण इकाई हेतु:- (निवेश 25 लाख से अधिक)

  • 60% पूंजी अनुदान के रूप में वेट एवं केंद्रीय बिक्री कर 7 वर्ष तक जमा कराने पर।
  • 10% रोजगार अनुदान के रूप में वेट एवं केंद्रीय बिक्री कर 7 वर्ष तक जमा कराने पर।
  • नये रोजगार सृजन पर प्रति नवनियुक्त कर्मचारी को प्रतिवर्ष अधिकतम 37,500 (महिला/ अनुसूचित जाती/ अनुसूचित जनजाति) माहवार गणना के आधार पर।
  • प्रति नवनियुक्त कर्मचारी को प्रतिवर्ष अधिकतम 30,000 माहवार गणना के आधार पर।

उपरोक्त (अ) (ब) (स) को प्रोत्साहन और देय

7 वर्ष तक 50 % बिजली कर, मंडी शुल्क, भूमिकर, पर अनुदान देय।

50% मुद्रांक शुल्क, इकाई पर उपकरण स्थापना हेतु प्रवेश शुल्क में रियायत।

50% भूमि- रूपांतरण शुल्क में छूट।

मसाला निर्यात पर परिवहन अनुदान:-

  • गुणवत्ता एवं प्रमाणीकरण हेतु प्रोत्साहन देय हैं।
  • परियोजना विकास हेतु उद्यमियों को व्यय का 50%, अधिकतम 5 वर्ष की अवधि में रु.10 लाख प्रति लाभार्थी अनुदान देय हैं।
  • फल, सब्जी निर्यात पर परिवहन अनुदान देय हैं।

फसलोत्तर प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन मशीन व उपकरण अनुदान एवं प्रदर्शन योजना:-

कृषकों द्वारा जिंसों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन कर विक्रय को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह योजना 2016-17 लागु की गई हैं। योजना के अंतर्गत बोर्ड में पंजीकृत निर्मित.अधिकृत विक्रेताओं से फसलोत्तर प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन के मशीन व उपकरण क्रय करने पर कृषकों को लागत का 50% अनुदान देय होगा, जो निर्धारित सिमा से अधिक नहीं होगा।

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किसान कलेवा योजना:-

राज्य की विशिष्ट श्रेणी अ एवं ब की कृषि उपज मंडी समितियों में कृषि जींस विपणन के लिए लाने वाले प्रत्येक कृषक एवं उनके सहयोगी को कूपन व्यवस्था के माध्यम से सस्त एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता हैं।

कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन कृषकों के द्वार योजना-2017:-

कृषकों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से कृषकों द्वारा स्वयं की कृषि भूमि पर कृषि प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने पर कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन। इस योजना के अंतर्गत इकाई स्थापना पर पूंजीगत लागत का 50% या रु. 20 लाख जो भी कम हो अनुदान देय होगा।

लघु वन उपज कृषि मंडी उदयपुर राज्य के आदिवासी क्षेत्र उदयपुर में वन उपज संग्रहणकर्ता आदिवासी क्षेत्र के कृषकों को उचित मूल्य दिलाने के लिए लघु वन उपज मंडी शुरू की गई हैं। 26 वन उपजों को वन विभाग के माध्यम से ट्रांजिट परमिट से मुक्त कराया गया हैं। मंडी में महुआ, रतनजोत, कणजी, पुहाड, आंवला, शहद आदि की आवक हो रही हैं।

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