रेगिस्तान का आभूषण कहे जाने वाले खजूर अपने आप में एक अनोखा फल है। ताड़ के प्रजाति के इस पौधे की खेती के लिए विशेषकर खाड़ी देशों की जलवायु ज्यादा बेहतर मानी जाती है पर हाल के दिनों में टिशू कल्चर के तकनीक के द्वारा खजूर की अनेकों ऐसी किस्में विकसित कर ली गई है जिसे कहीं भी आसानी से लगाया जा सकता है। खजूर की सौ से भी ज्यादा किस्में पाई जाती है ।भारत के लिए इनमें से कुछ पांच-छह किस्में अनुकूल है। खजूर के एक पौधे की कीमत 3000 से भी ज्यादा होता हैं।
खजूर के हर भाग कि अपनी एक खास उपयोगिता है। पौष्टिकता से परिपूर्ण इसके फलों से लेकर इसकी गुठलियों और पत्तों के भी अनेकों उपयोग है। इसके गुठली से पोल्ट्री के लिए दाने बनाए जाते हैं, वहीं इसके पत्तों से विभिन्न तरह के टोकरी, कागज और रस्सी जैसें सामान बनाए जाते हैं।
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खजूर की खेती
इसके पेड़ों की जिंदगी 50 साल के आसपास होती है, अतः एक बार इसके प्लांटेशन के बाद हम अगले कई सालों तक इसे अच्छी खासी इनकम प्राप्त कर सकते हैं।
खजूर के पौधे लगाने की विधि
इसके पेड़ों को लगाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, की हर पंक्ति के बीच कम से कम 8 मीटर की दूरी हो। एक हेक्टेयर में इसके 160 प्लांट लगाए जा सकते हैं जिसमें 10 नर प्लांट होते हैं और 150 मादा।
जमीन को कैसे तैयार करें:-
- जिस जमीन पर खेती करना है उसकी 2 से 3 बार जुताई जरूरी होती है। बाद में मिट्टी को एक लेवल में करना होता है।
- इसके लिए खोदे गए गड्ढों को करीब 2 हफ्ते तक ओपन रखने की सलाह दी जाती है।
- जुलाई से सितंबर का टाइम प्लांटिंग के लिए बेस्ट होता है।
- यदि जमीन में इरिगेशन की फेसिलिटी है, तो फार्मर खजूर के प्लांट के बीच वाली जगह में दूसरी फसलें भी लगा सकते हैं। जैसे काला चना, हरा चना, मसूर, पपीता या सब्जियां भी उगा सकते हैं।
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सिंचाई:-
- पेड़ों को कितना पानी देना है, यह एरिया की क्लाइमेट कंडीशन और मिट्टी की मॉइश्चर होल्ड करने की कैपेसिटी पर डिपेंड करता है।
- पेड़ों में लगातार मॉइश्चर बने रहना चाहिए लेकिन पानी ठहरना नहीं चाहिए। बारिश के मौसम में अलग से पानी देने की कोई जरूरत नहीं होती।
- भारी बारिश से पानी जम जाए तो उसका निकलना सही होता है, वरना यह प्लांट को डैमेज कर सकता है।
- हर साल 5 से 6 बार सिंचाई पर्याप्त होती है। प्लांटिंग के तुरंत बाद फ्रिक्वेंट इरिगेशन की जरूरत होती है।
खजूर की हार्वेस्टिंग:-
खजूर प्लांटिंग के 6 से 7 साल में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाते हैं। वैरायटी के हिसाब से खजूर अलग-अलग स्टेज में तोड़े जाते हैं। इसलिए हार्वेस्टिंग लोकल डिमांड पर भी डिपेंड करती है।
उत्पादन:-
खजूर की पैदावार मिट्टी और क्लाइमेट पर डिपेंड करती है। 10 साल पुराना पेड़ हर साल 50 से 60 किलो खजूर देता है। साल दर साल इसकी खपत बढ़ती है। 15 साल तक एक पेड़ 80 किलो तक फल देता है।
आय:-
खजूर की खेती से 1 हेक्टेयर में तकरीबन पांच लाख तक का इनकम हो सकता है। khjur
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