गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है, लेकिन भारत के बारे में बात की जाए तो पुराने समय से यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध का मामला हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों का। गाय (गिर ) दुधारू पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है। गायपालन ,दूध उत्पादन व्यवसाय या डेयरी फार्मिंग छोटे व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है।
लेकिन व्यवसाय की दृष्टि ज्यादातर पशुपालक देसी गायपालन को घाटे को सौदा मानते है, लेकिन अब लोग देशी गाय के दूध की महता वैज्ञानिक शोधो के आधार पर स्वीकार करने लगे है, ईसी का नतीजा है की आज हमारे समाज के पढे लिखे लोगो के बीच गिर गाय के दूध की मांग बढ़ गयी है।
आज स्थिति ये है की गिर गाय के दूध की उपलब्धता मांग के अनुपात मे मात्र 20% है, जिसके फलस्वरूप हमारे किसान भाई छोटे-छोटे शहरो मे इस दूध को लगभग 55 रुपया तथा बड़े शहरो मे लगभग 100 रुपया प्रति लीटर बेचकर लाभ कमा रहे है। मोदीजी की सरकार भी हमारे देशी नस्ल की गायों को सगरक्षण एवं संवर्धन हेतु बहुत सारी योजनाए चला रही है।आज जरूरत है देश के पढे लिखे बेरोजगार नौजवानो को जो इसबात को समझे तथा गिर गाय आधारित गोपालन कर ईसे एक ब्रांड बनाकर अपने नजदीकी शहरो मे बेचे तथा लाभ कमाए।
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गिर स्वदेशी पशुओं में सबसे अच्छी दुधारू पशुओं में से एक है। इस नस्ल की गाय को अनेको नाम से बुलाया जाता है, जैसे कि भोडली, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, खोजी, और सुरती यह गाय नस्ल के प्रजनन क्षेत्र गुजरात के अमरेली, भावनगर, जूनागढ़ और राजकोट जिले शामिल है। इसका नाम गिर जंगल क्षेत्र के नाम पर रखा गया है।
इस नस्ल की उत्पत्ति गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में हुई है। गिर नस्ल के सांड भारी-भरकम सामान भी आसानी से ढो सकते हैं। इस नस्ल के पशु तनाव अवस्था में भी सहनशीलता बनाये रखते हैं। इसकी अनेक योग्यताओं के कारण इस नस्ल के जानवरों को ब्राज़ील, अमेरिका, वेनेजुएला और मेक्सिको जैसे देशो में भेजा जाता है। इसे वहां सफलतापूर्वक विकसित किया जा रहा है। गिर गायें एक बयांत में 5000 liter तक दूध दे सकती है।
यह बहुत ही ख़ास मवेशी है और यह अपना अधिक समय चाटके या स्पर्श करके व्यतित करते है। बैल झुण्ड की रक्षा के लिए जाता है और पूरा झुण्ड बच्चो की रक्षा करता है। यह गाय 12 से 15 साल तक जीवित रह सकते है, और अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चे पैदा कर सकते है।
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विशेषताएं:-
Body Size (वजन) :-गाय का वजन लगभग 400- 475 kg और बैल का वजन 550-650 तक हो सकता है।
Color (रंग):- इन का रंग सफ़ेद, लाल और हल्का Chocolate रंग में होता है।
Head (सिर):- इसकी अनोखी खासियत उत्तल माथा है जोकि दिमाग और Pituitary Gland के लिए फायदेमंद होता है।
Ears (कान):- इनके कान लम्बे और लटकने वाले होते है।
Horns (सींग):- इनके सींग अच्छी तरह से सिर पर फिट होते है।
Skin (त्वचा):- उनकी त्वचा हल्के चमकदार बाल, बहुत ही ढीले और लचीले होते हैं।
Eyes (आँखें):- गिर की आँखें काले रंग की होती है। वे अपनी पलकों को बंदकर सकते हैं ताकि कीड़े उन्हें परेशान ना कर सके। उनके आंख क्षेत्र के आसपास ढीली त्वचा है।
Fertility (उपजाऊपन):- गिर गाय अत्यधिक उपजाऊ है। उनके बछडे जन्म लेते हैं तो बहुत ही शांत होने वाली समस्याएं अनसुनी होती है।
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भारत में गाय की 37 प्रकार की शुद्ध नस्ल पायी जाती है। जिसमें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल निम्न हैं:-
1) गिर गाय (सालाना-2000-6000 लीटर दूध, स्थान -सौराष्ट्र, गुजरात)
2) साहिवाल गाय (सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -UP, हरियाणा, पंजाब)
3) लालसिंधी ( सालाना-2000-4000 लीटर दूध, स्थान -उत्पत्ति सिंध में लेकिन अभी पूरे भारत में)
4) राठी (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-राजस्थान, हरियाणा,पंजाब)
5) थारपारकर (सालाना-1800-3500 लीटर दूध, स्थान-सिंध, कच्छ, जैसलमेर,जोधपुर)
6) कांक्रेज (सालाना-1500-4000 लीटर दूध, स्थान-उत्तरी गुजरात व राजस्थान)
एक शोधपूर्ण सच्चाई:-
ब्राजील देश ने हमारी देसी गायों का आयातकर अब तक 65 लाख गायों की संख्या करली है। और इससे भी दोगुनी उन लोंगो ने दूसरे देशों में निर्यात की है। google पर indian cow in brazil सर्च कर सकते है ! उन लोगों ने दिल से इन गौवंश (सांडो सहित )की सेवाकर आज औसत में एक गाय से दिनभर में करीब 40 लीटर दूध पाने की शानदार स्थिति बना ली।
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गिर गाय के दूध के 10 फायदे:-
- इसका दूध किडनी के लिए लाभदायक होता है।
- इसके दूध में 4.5% Fat की मात्रा होती है।
- A1 और A2 Variants एक Amino Acids अलग से होते हैं A1 में Histidine है और A2 में Proline होते है।
- गिर गाय भारत का सबसे पुरानी देशी गाय है।
- इसमें Omega 3 के साथ A2, E और D शामिल हैं।
- गिर गाय का दूध टूटी हुई हड्डी का इलाज करने में भी सक्षम है।
- यह अनिद्रा को ठीक करता है, Joint massage के लिए सबसे अच्छा होता है।
- सबसे महत्त्वपूर्ण होता है कि यह उन लोगों के लिए अच्छा है जोमोटा से ग्रस्त हैं।
- आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार, गाय का घी बच्चों के मस्तिष्क विकास में मदद करता है।
- देसी गाय का दूध अमृत जैसा है, क्योंकि इसमें अमीनो एसिड होता है जो इसकी प्रोटीन आसानी सुपाच्य बनाता है।
गिर गाय भारतीय गोवंस अनेक गुणों वाला है—-
- बुद्धिवर्धकः खोजों के अनुसार भारतीय गऊओं के दूध में‘ सैरिब्रोसाईट’नामक तत्व पाया गया है जो मस्तिष्क के ‘सैरिब्रम’ को स्वस्थ-सबल बनाता है।यह स्नायुकोषों को बल देने वाला, बुद्धिवर्धक है।
- गाय के दूध से फुर्तीः जन्म लेने पर गाय का पछड़ा जल्दी ही चलने लगता है जबकि भैंस का पाडा रेंगता है। स्पष्ट है कि गाय एवं उसके दूध में भैंस की अपेक्षा अधिक फुर्ती होती है।
- आँखों की ज्योति, कद और बल को बढ़ाने वालाः भारतीय गौ कीआँत 180 फुट लम्बी होती है।गाय के दूध में केरोटीन नामक एक ऐसा उपयोगी एवं बलशाली पदार्थ मिलता है जो भैंस के दूससे कहीं अधिक प्रभावशाली होता है। बच्चों की लम्बाई और सभी के बल को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी होता है।आँखों की ज्योति को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी है। यह कैंसर रोधक भी है।
- असाध्य बिमारीयों कीस माप्तिः गाय के दूध में स्टोनटियन नामक ऐसा पदार्थ भी होता है जो विकिर्ण (रेडियेशन) प्रतिरोधक होता है।यह असाध्य बिमारियों को शरीर पर आक्रमण करने से रोकने का कार्य भी करता है। रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है जिससे रोग का प्रभाव क्षीण हो जाता है।
- रामबाण है गाय का दूध–ओमेगा 3 से भरपूरः वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि फैटी एसिड ओमेगा 3 (यह एक ऐसा पौष्टिकता वर्धक तत्व है, जो सभी रोगों की समाप्ति के लिए रामबाण है) केवल गोमाता के दूध में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। आहार में ओमेगा 3 सेडी. एच. तत्व बढ़ता है। इसी तत्व से मानव-मस्तिष्क और आँखों की ज्योति बढ़ती है। डी.एच.में दो तत्व ओमेगा 3 और ओमेगा 6 बताये जाते हैं। मस्तिष्क का संतुलन इसी तत्व से बनता है।आज विदेशी वैज्ञानिक इसके कैप्सूल बनाकर दवा के रूप में इसे बेचकर अरबो-खरबो रुपये का व्यापार कर रहे हैं।
विटामिन से भरपूर माँ के दूध के समक क्षःप्रो.एन.एन. गोडकेले के अनुसार गाय के दूध में अल्बुमिनाइड, वसा, क्षार, लवण तथा कार्बोहाइड्रेड तो हैं ही साथ ही समस्त विटामिन भी उपलब्ध हैं। यह भी पाया गया कि देशी गाय के दूध में 8 प्रतिशत प्रोटीन, 0.7 प्रतिशत खनिज व विटामिन ए, बी, सी, डी वई प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं, जो गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
- कॅालेस्ट्राल से मुक्तिः वैज्ञानिकों के अनुसार कि गाय के दूध से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता। हृदय रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी माना गया है।फलस्वरूप मोटापा भी नहीं बढ़ता है। गाय का दूध व्यक्ति को छरहरा (स्लिम) एवं चुस्त भी रखता है।
- टी.बी.और कैंसर की समाप्तिः क्षय (टी.बी) रोगी को यदि गाय के दूध में शतावरी मिलाकर दी जाये तो टी.बी.रोग समाप्त हो जाता है।एस में एच.डी.जी.आई. प्रोटीन होने से रक्त की शिराओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता। पंचगव्य आधारित 80 बिस्तर वाला कैंसर हॅास्पिटल गिरी विहार, संकुल नेशनल हाईवे नं.8, नवसारी रोड़, वागलधारा, जि.बलसाड़, गुजरात में है।यहा तीसरी स्टेज के कैंसर के रोगियों का इलाज होता हैं पर अब उनकी सफलता किन्ही कारणों सेप हले जैसी नहीं रही है।
- इन्टरनेशनल कार्डियोलॅाजी के अध्यक्ष डा.शान्तिलाल शाह ने कहा है कि भैंस के दूध में लाँगचेन फेट होता है जोनसों में जम जाता है। फल स्वरूप हार्ट अटैक की सम्भावना अधिक हो जाती हैं। इसलिए हृदय रोगियों के लिए गाय का दूध ही सर्वोत्तम है। भैंस के दूध के ग्लोब्यूल्ज़ भी आकार में अधिक बड़े होते हैं तथा स्नायुकोषों के लिए हानिकारक हैं।
- बी-12 विटामिन:- बी-12 भारतीय गाय की बड़ी आंतों में अत्यधिक पाया जाता है, जो व्यक्ति को निरोगी एवं दीर्घायु बनाता है।इससे बच्चों एवं बड़ों को शारीरिक विकास में बढ़ोतरी तो होती ही है साथ ही खून की कमी जैसी बिमारियां (एनीमिया) भी ठीक हो जाती है।
गाय के दूध में दस गुणः- चरक संहिता (सूत्र 27/217) में गाय के दूध में दस गुणों का वर्णन है-
स्वादु, शीत, मृदु, स्निग्धंबहलंश्लक्ष्णपिच्छिलम्।
गुरुमंदंप्रसन्नंचगल्यंदशगुणंपय॥
अर्थात्- गाय का दूध स्वादिष्ट, शीतल, कोमल, चिकना, गाढ़ा, श्लक्ष्ण, लसदार, भारी और बाहरी प्रभाव को विलम्ब से ग्रहरण करने वाला तथा मन को प्रसन्न करने वाला होता है।
- केवल भारतीय देसी नस्ल की गाय का दूध ही पौष्टिकः करनाल के नेशनल ब्यूरो आफ एनिमल जैनिटिक रिसोर्सेज (एन.बी.ए.जी.आर.) संस्था ने अध्ययन कर पाया कि भारतीय गायों में प्रचुर मात्रा में ए2 एलील जीन पाया जाता हैं, जो उन्हें स्वास्थ्यवर्धक दूध उप्तन्न करने में मदद करता है। भारतीय नस्लों में इस जीन की फ्रिक्वेंसी 100 प्रतिशत तक पाई जाती है।
- कोलेस्ट्रम (खीस) में है जीवनी शक्तिः प्रसव के बाद गाय के दूध में ऐसे तत्व होते हैं जो अत्यन्त मूल्यवान, स्वास्थ्यवर्धक हैं। इसलिए इसे सूखाकर व इसके कैप्सूल बनाकर, असाध्य रोगों की चिकित्सा के लिए इसे बेचा जा रहा है। यही कारण है कि जन्म के बाद बछड़े, बछड़ियों को यह दूध अवश्य पिलाना चाहिए। इससे उसकी जीवनी शक्ति आजीवन बनी रहती है।इसके अलावा गौ-उत्पादों में कैंसररोधी तत्व एनडीजीआई भी पाया गया है जिस पर यूएस पेटेन्ट प्राप्त है।
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