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कृषि यंत्र/ Agriculture Machinery

गेहूं काटने हेतु विभिन्न मशीनें

गेहूं कटाई हेतु विभिन्न मशीनें
Written by Bheru Lal Gaderi

गेहूं काटने का कार्य अभी भी परंपरागत हंसिया से ही किया जाता है। कुछ स्थानों पर किसान उन्नत दातेदार हंसिया का भी प्रयोग करते हैं। गेहूं उत्पादन में उन्नत उपकरणों एवं मशीनों का प्रयोग धीरे धीरे बढ़ने लगा है। जुताई, बुवाई, गहाई में विभिन्न प्रकार के ट्रैक्टर चलित हल, बीज बुवाई मशीन, तथा गहाई यंत्रों का प्रयोग किया जाता है, किंतु कटाई के कार्य में हमारे क्षेत्र में मशीनों का उपयोग अभी कम है।

वर्तमान में गेहूं कटाई हेतु विभिन्न प्रकार की मशीनें उपलब्ध हैं। किसान इनका उपयोग कर लाभ ले सकते हैं। यहां गेहूं कटाई के क्षेत्र में उपलब्ध कुछ उपयोगी मशीनों का वर्णन किया जा रहा है।

गेहूं काटने का स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर:-

स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर गेहूं कटाई हेतु छोटे व मध्यम दर्जे के किसानों हेतु एक उपयोगी मशीन है। इसमें आगे की ओर एक कट्टर बाहर लगी होती है तथा उसके पीछे संचरण प्रणाली लगी होती हैं। इस रीपर में अपने स्वयं का लगभग 5 हॉर्स पावर का एक डीजल इंजन लगा होता है जो इसके पहियों तथा कटर बार को शक्ति संचरण का कार्य करता है।

गेहूं कटाई के लिए इसकी कटर बार को आगे रखकर इसके हैंडिल से पकड़कर किसान को इसके पीछे चलना होता है। कटर बार गेहूं के पौधों को काटती हैं तथा संचरण प्रणाली द्वारा पौधे एक लाइन में बिछा दिए जाते हैं। इसके पश्चात श्रमिकों द्वारा उनको इकट्ठा कर लिया जाता है।

इस मशीन की कार्य क्षमता लगभग 0.21हे./घंटा है। इसकी लागत लगभग रु. 100000/- हैं तथा इसके द्वारा कटाई की लागत लगभग 1100 रूपये प्रति हेक्टेयर आती है।

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गेहूं काटने का स्वचालित रीपर बाइंडर:-

ट्रैक्टर चलित रीपर में कतार बार तथा संचरण प्रणाली स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर की तरह होती हैं किंतु इस को ट्रैक्टर की सहायता से चलाया जाता है। कटर बार को शक्ति संचरण का कार्य ट्रैक्टर की पी.टी.ओ. शाफ्ट की सहायता से चलाया जाता है।

इसकी कट्टर बार सामान्यतया वर्टिकल कन्वेयर रीपर की कटर बार से अधिक लंबी होती हैं।  इस मशीन से भी गेहूं के पौधे कटर बार से काटकर संचरण प्रणाली द्वारा एक और लाइन में बिछा दिया जाता है। जिन्हें बाद में पुलों में बंधवा दिया जाता है।

कार्यक्षमता, लागत, कीमत:-

ट्रैक्टर चलित रीपर की कार्य क्षमता 0.40हे./ घंटा होती है। इसका मूल्य लगभग 75000/- रूपये हैं तथा इसके द्वारा में गेहूं कटाई की लागत लगभग 1100/- रूपये प्रति हेक्टेयर आती है। इसके द्वारा कार्य किया जाना वर्टिकल कन्वेयर रीपर की तुलना में अधिक आसान है क्योंकि यह ट्रैक्टर की सहायता से चलाया जाता है।

गेहूं काटने का स्वचालित रीपर बाइंडर:-

स्वचालित रीपर बाइंडर में गेहूं कटाई के साथ-साथ उनको पुलो में बांधने का कार्य भी मशीन द्वारा ही हो जाता है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि यह स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर का अधिक विकसित रूप है।

इसमें ना केवल पौधों को पुलो में बांधने हेतु इकाई भी लगी होती है। वरन किसान के बैठने हेतु व्यवस्था भी होती है। जिससे उसका कार्य स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर की तुलना में अधिक आरामदायक रूप से हो जाता है और पुलो को भी अलग से बांधना नहीं होता है।

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कार्य-प्रणाली:-

पहले पौधे कटर बार से कटकर बांधने की इकाई द्वारा पुलों में बंध जाते हैं तथा कटर बार एवं बैठने की सीट के मध्य खेत में गिरा दिए जाते है। इन पुलो को बाद में एकत्रित कर लिया जाता है। इस मशीन में तीन पहिये होते हैं परन्तु वर्तमान में चार पहियों वाली मशीन उपलब्ध हो गई है।

कार्यक्षमता, कीमत, लागत:-

इस मशीन को चलाने हेतु स्वयं का लगभग 10 हॉर्स पावर का डीजल इंजन होता है। इस मशीन की कार्य क्षमता लगभग 0.35हे./घंटा होती है। इसका मूल्य लगभग 325000/- रूपये है तथा इससे कटाई की लागत 1000 रूपये प्रति घंटा आती है।

ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर:-

ट्रैक्टर चालित गेहूं कटाई एवं बधाई मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इसमें भी कटर बार से पौधे कटने के पश्चात पुलों में बंध जाते हैं तथा उन्हें संचरण प्रणाली द्वारा एक और गिरा दिया जाता है। इस मशीन द्वारा कटाई एवं बँधाई का कार्य बहुत सफाई से होता है। अतः किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही हैं।

कीमत, लागत:-

इस मशीन का मूल्य लगभग 295000/- रूपये हैं। इसके द्वारा लगभग 0.40हेक्टेयर/घंटा की दर से गेहूं कटाई की जा सकती हैं तथा इससे कटाई की लागत लगभग 1050/- रूपये/घंटा आती है।

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कंबाइन हार्वेस्टर:-

यह मशीन बड़े किसानों के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं। इसमें गेहूं की कटाई के साथ-साथ उनकी गहाई का कार्य भी हो जाता है और हमें साफ दाना प्राप्त हो जाता है। इस मशीन द्वारा गेहूं की कटाई बहुत ऊपर से की जाती है अतः शेष पौधा खेत में खड़ा रह जाता है। जिसे बाद में काटना पड़ता है बहुत सारे किसानो इसको खेत में जला देते हैं जो कि एक सही प्रक्रिया नहीं है। इससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान होता है।

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