बिना रसायन के प्राकृतिक खेती कर कमाई की राह तलाशने वाले चित्तूर के किसान यनमाला जगदीश रेड्डी अब देशभर के किसानों को इसके गुर सिखा रहे हैं। वह 20 एकड़ में धान, आम, बाजरा व अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं। खुद ही गुड़ और कोल्ड प्रेस्ड मूंगफली तेल का उत्पादन कर रहे हैं। चित्तूर के बंगारुपलेम मंडल के दंडुवरिपल्ले के जगदीश रेड्डी 200 से अधिक परिवारों तक कृषि उत्पाद पहुंचा रहे हैं। उनके पिता भी किसान थे।
Read also – कान सिंह निर्वाण – दस गुना कमाई के रास्ते जानता हूँ
मिट्टी को रसायन से हैं बचाना:-
जगदीश रेड्डी ने 2010 में पढ़ाई छोड़ दी। रसायन के उपयोग से खेती शुरू की, पर उन्हें नुकसान हुआ और लागत भी नहीं निकली। 2012 में जगदीश ने तिरुपति में प्राकृतिक किसान सुभाष पालेकर के शून्य बजट प्राकृतिक खेती के सत्र में भाग लिया और गोबर, मूत्र, हरी खाद व जैविक कीट नियंत्रण विधियों का प्रयोग शुरू कर दिया । जगदीश मिट्टी को रसायनों और कीटनाशकों से बचाना चाहते हैं।
200 किसानों की कमाई बढ़ाई:-
बकौल जगदीश रेड्डी, मैंने देशभर में कार्यशालाएं कर कई किसानों को प्राकृतिक खेती अपने में मदद की है। पूरे देश में 200 से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए मार्गदर्शन दिया है। प्राकृतिक खाद तैयार करने के लिए गोबर, गोमूत्र, गुड़, हरे व काले बेसन और वन मिट्टी का उपयोग किया जाता है। एक एकड़ के लिए 200 लीटर तरल उर्वरक पर्याप्त हैं। कीटनाशक तैयार करने के लिए नीमस्ट्रॉम ( नीम का अर्क, गोमूत्र, गोबर और पानी से तैयार) का प्रयोग किया जाता हैं।
Read also – मल्टीलेयर फार्मिंग मॉडल, एक बिघा से 10 लाख की कमाई
मुगफली का स्वास्थ्यवर्धक तेल:-
जगदीश रेड्डी के अनुसार, वह पारम्परिक कोल्ड प्रेस्ड सिस्टम से मूंगफली का तेल निकाल रहे हैं। इसमें लकड़ी की चक्की विधि का उपयोग कर करके बिना गर्म किए या किसी भी रसायन का उपयोग किए बिना तेल निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक कोल्ड प्रेस तरीकों से निकाला गया मूंगफली का तेल स्वास्थ्यवर्धक होता है।
नई दिशा में मेहनत को मिला सम्मान:-
जगदीश रेड्डी ने अभिनव और स्वास्थ्य प्राकृतिक खेती के लिए कई पुरस्कार जीते हैं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने उन्हें अभिनव किसान पुरस्कार से सम्मानित किया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें आदर्श रायथू पुरस्कार प्रदान किया है।
किसान यनमाला जगदीश रेड्डी के बारे में अधिक जानकारी हेतु यह वीडियो देखें
Read also – जैविक खेती में गाय और नीम का महत्व