खाद / Fertilizer

जिप्सम का उपयोग- खेती में अधिक पैदावार के लिए

जिप्सम
Written by Bheru Lal Gaderi

जिप्सम के उपयोग से तिलहनी व दलहनी फसलों के उत्पाद की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के साथ भूमि भी स्वस्थ रहती है।

राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, हनुमानगढ़, नागौर आदि जिलों में इसके प्राकृतिक भंडार के रूप में मिलती है।

जिप्सम कैल्शियम और गंधक का एक उत्तम एवं अच्छा स्रोत है।

क्षारीय मृदा को सुधारने में भूमि सुधारक के रूप में काम आता है।

जब सामने मौजूद के नियम और गंधक (सल्फर) पोषक तत्व पौधों को आसानी से मिल जाते हैं जिप्सम मिट्टी में हानिकारक लवणों की मात्रा को बढ़ने नहीं देता है, जिससे जमीन भुरभुरी और उपजाऊ बनती है।

इसका उपयोग से जमीन खराब होने का खतरा नहीं रहता है।

इससे पैदावार एवं फसल के रोग रोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

जिप्सम का उपयोग- अधिक पैदावार के लिए

जिप्सम की उपलब्धता:-

सहकारी समिति विक्रेताओं के पास जिप्सम अनुदान पर आसानी से उपलब्ध होती हैं।

राजकीय सहायता:-

कृषि विभाग द्वारा पर रुपए 47.50 रु. प्रति कट्टा का अनुदान दिया जा रहा है।

पोषक तत्व के रूप में प्रयोग:-

  • अच्छी पैदावार के लिए जिप्सम को कैल्शियम एवं सल्फर की पूर्ति के लिए उर्वरक के रूप में डालें।
  • जिप्सम में 13 से 16% गंधक एवं १९% से 30% कैल्शियम तत्व मिलते हैं।
  • इसके प्रयोग से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा एवं दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि होती है।
  • इसके उपयोग से दानें सुडोल एवं चमकीले बनते हैं।
  • जिप्सम डालने में उत्पाद एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है।
  • जमीन में लाभदायक जीवाणु की क्रियाशीलता बढ़ती है।
  • इससे दलहनी फसलों की जड़ों में बड़ी गाठें (नोड्युलोस) बनने से सीधे ही वातावरण से ज्यादा मात्रा पौधों को मिलती है।
  • तिलहनी एवं दलहनी में एक हेक्टेयर में 250 किलों जिप्सम बुवाई से पहले खेत में उर्वरक के रूप में डालें।

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क्षारीय भूमि सुधार एवं उपयोगी:-

ऐसे करें- भूमि सुधार:-

अप्रैल के महीने में जिप्सम की मात्रा की जांच कराएं।

मिट्टी का नमूना 9 इंच तक की गहराई से लेकर नमूना जांच के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।

मिट्टी में जांच के अनुसार मात्रा में बारीक़ जिप्सम पाउडर को समान रुप से खेत में बिखेर कर मिट्टी में मिलावे।

खेत के चारों ओर मेढ़बंदी करके बरसात के पानी को खेम में रोके।

प्रति हेक्टेयर 60 किलो ढेंचा का बीज, उसे 45 दिन बाद फूल आने पर पलटकर हरी खाद के रुप में जमीन में दबा देवे।

प्रभावी परिणाम के लिए खेत में इसके साथ गोबर की खाद या हरी खाद का उपयोग करें।

रबी मौसम में इस खेत में जौ अथवा सरसों की फसल बोए।

प्रस्तुति:-

जे. पी. यादव जयपुर

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