kheti kisani कृषि अनुसंधान केन्द्र

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र

जैविक कृषि अनुसंधान
Written by Bheru Lal Gaderi

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र का लोकार्पण समारोह 2 अप्रैल को संपन्न हुआ, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान भाइयों व मित्रों Kamal Jeet Jaimin Patel Kisan Vijay Godara देशी सब्जी बीज देशी सब्जी बीज के साथ कई मोजे ली।

जैविक कृषि अनुसंधान

पिछले 5 वर्ष से कृषि की प्राचीन व पारम्परिक विधियों पर शोध कार्य:-

इस जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र पर Pawan K. Tak जी व उनकी पुरी टिम Mahesh Kumar Sharma आदी ने पिछले 5 वर्ष से कृषि की प्राचीन व पारम्परिक विधियों पर शोध कार्यों को आधुनिक तकनीकी से सामंजस्य बैठाकर प्रकृति, पर्यावरण, जीव जगत के संरक्षण के साथ साथ कम लागत में गुणवत्ता युक्त कृषि से किसानों की आय में वृद्धि तथा मानव शरीर को स्वस्थ भरपूर ऊर्जायुक्त बनाऐ रखने के लिए विभिन्न सहज व सरल आयामों की स्थापना कर उत्कृष्ट मॉडल तैयार कर रहे हैं।

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श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र पर हो रहे कार्य एवं आधारभूत व्यवस्थाएँ इस प्रकार है:-

जैव विविधता एवं आधुनिक व्यवस्थाओं से युक्त जैविक भूमि को प्रदूषित पानी से बचाने के लिए सम्पूर्ण क्षेत्र को बफर जॉन से संरक्षित किया गया है। केन्द्र पर खेत के चारों ओर दीवार के साथ नाली है, नाली की मेड़ पर 100 प्रकार के औषधीय पेड़ हैं।

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र का प्रशिक्षण भवन आधुनिक व्यवस्थाओं से सुसज्जित है। जहां जैविक खेती पर निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कि जायेंगें।

प्रोसेसिंग यूनिट:-

केन्द्र पर प्रोसेसिंग यूनिट में विभिन्न प्रकार की मशीनें स्थापित की गई है। साथ ही कई प्रकार के उत्पाद यहाँ तैयार किये जाते है।

देशी गोवंश संवर्धन एवं संरक्षण:-

जैविक कृषि में गो को मूल आधार मानते हुऐ इसके संवर्धन एवं संरक्षण के लिये इनसे प्राप्त पंचगव्य के उपयोग हेतु स्वास्तिक आकार का गो-गृह है। चार भागों में विभाजित इस गो-गृह में नन्दी, बछड़िया, दुधारू व वृद्ध गायों की सेवा की जाती है। गायों को खुले में चरने के लिए गो विचरण स्थल भी हैं। नर गोवंश का उपयोग बैलगाडी, बैल चलित ट्रैक्टर, घाणी, चक्की, चारा कुट्टी मशीन, पेड़ी थ्रेशर इत्यादि चलाने हेतु किया जाता है।

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प्रयोगशाला (Laboratory):-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र के अनुसंधान भवन में तीन प्रयोगशालायें है।

मृदा जांच प्रयोगशाला:-

इस प्रयोगशाला में मिट्टी, खाद पानी, वनस्पति तथा पशु आहार में उपलब्ध पोषक तत्वों की जांच की जाती है।

कीट नियन्त्रण व संवर्धन प्रयोगशाला:-

कीट नियन्त्रण व संवर्धन प्रयोगशाला में जैविक कृषि में होने वाले कीटों के नियन्त्रण व लाभदायक कीटों के संरक्षण संवर्धन एवं शोधयुक्त अध्ययन होता है।

पादप रोग विज्ञान एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान प्रयोगशाला:-

जिसमें जैविक कृषि में नुकसान पहुंचाने वाले रोग जनकों के नियन्त्रण एवं लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं के संवर्धन के साथ शोधयुक्त अध्ययन किया जाता है।

देशी बीज बैंक:-

केन्द्र पर स्थापित बीज बैंक में जैविक आधारित उत्तम, उन्नत एवं परम्परागत बीजों के उत्पादन, संवर्धन एवं संरक्षण का कार्य होता है।

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मधुमक्खी पालन:-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र पर बीजोत्पादन में परागण के सहयोग हेतु मधुमक्खी पालन यूनिट भी है।

धनवंतरि वाटिका:-

अनुसंधान भवन के सामने धनवंतरि वाटिका है, जो हर्बल गार्डन के रूप में प्रतिष्ठित है, इसमें 115 प्रकार की औषधीय वनस्पतिया, लताए, वृक्ष इत्यादि है|

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“केन्द्र पर किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप समय-समय पर नवाचार होते रहते हैं। “

नर्सरी(माधव मॉडल):-

कम लागत की बांस द्वारा निर्मित 1000 वर्गफुट की नर्सरी है जो कि माधव मॉडल के नाम से जानी जाती है, जिसमें एक माह में 40,000 सब्जी पौध व फलदार पेड़ की पौध तैयार की जा सकती है। जो कि रोजगार सृजन करने का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

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केशव ड्रायर:-

यहीं केशव ड्रायर है जो कि कम लागत का प्राकृतिक ऊर्जा शुष्कन है जिसमें प्रोसेसिंग हेतु उपयोगी कृषि उत्पाद सुखाये जाते हैं, जिससे फूलों को सुखाकर हर्बल गुलाल टमाटर की चिप्स, लोकी की केन्डी शतावर का पाउडर इत्यादि बनाते हैं।

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कृष्णमुरारी गोबर गैस मॉडल:-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र पर कृष्णमुरारी मॉडल कम लागत की गोबर गैस इकाई है, जो कि श्रमिकों के भोजन बनाने के लिये अति उपयोगी है।

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ड्रीप इरीगेशन सिस्टम:-

इंच- इंच भूमि को सिंचित करने के लिये बूंद-बूंद पानी को इकट्ठा करके वर्षा जल संग्रहण इकाई बनाई है, जिसपर ड्रीप इरीगेशन सिस्टम लगा है जो कि सिंचाई के लिये उपयोगी है।

छप्पर मॉडल:-

किसान को कम लागत में कम जगह पर, आय कैसे हो इसके लिए 3 छप्पर मॉडल बनाये हैं।

प्रथम मॉडल:-

प्रथम मॉडल में गिलोय से आच्छादित छप्पर के नीचे दोहरी दीवार का टैंक बना है और दीवार के मध्य बजरी भरकर ऊपर से ढका हुआ है। यह कोल्ड स्टोरेज है, जहां फूल, फल, सब्जी दूध इत्यादि रखा जा सकता है। उपयोग नहीं होने पर इस कोल्ड स्टोरेज को मशरूम उत्पादन इकाई में बदल दिया जाता है जहां ओयेस्टर व बटन मशरूम जैविक पद्धति से पैदा की जाती है।

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दूसरा मॉडल :-

दूसरे मॉडल में पोई की बेल से आच्छादित छप्पर में परम्परागत सब्जी संग्रह केन्द्र है।

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तीसरा मॉडल :-

तीसरे मॉडल के छप्पर पर सेम की बेल से सब्जी उत्पादन व छप्पर के नीचे बैलचलित उपकरण रखे गए हैं।

अग्निहोत्र यज्ञ:-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र पर पर्यावरण को शुद्ध रखने हेतु प्रतिदिन अग्निहोत्र यज्ञ, धनवन्तरि वाटिका में किया जाता है।

भू जल पुर्नभरण केन्द्र:-

भू- जल के गिरते स्तर की वृद्धि हेतु भू जल पुर्नभरण केन्द्र है।

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वर्षा जल संग्रहण इकाई:-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र पर बरसात में पानी को एकत्रित करने के लिए एक पौंड का निर्माण किया गया है जिससे वर्ष पर बूंद बूंद सिंचाई पद्धति से फसलों की सिंचाई की जाती है।

वर्षा जल संग्रहण इकाई

सघन वन:-

यहां पर विभिन्न पक्षियों के प्राकृतिक आसरे हेतु सघन वन भी है।

मौसम पूर्वानुमान इकाई:-

– किसानों को समय-समय पर मौसम की जानकारी देने हेतु मौसम पूर्वानुमान इकाई स्थापित की गई।

जैविक कीट नियन्त्रक इकाई:-

– विभिन्न प्रकार के हानिकारक कीटों के नियन्त्रण हेतु जैविक कीट नियन्त्रक इकाई है, जिसमें नीम पत्ती काढा, नीम निम्बोली अर्क, खली का गोल, लहसुन अर्क, ट्रेप सिस्टम बनाते हैं।

जैविक कीट नियन्त्रक इकाई

कम्पोस्ट ईकाई :-

श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र के खेत की भूमि को ऊपजाउ बनाने के लिए कम्पोस्ट जैसे- सुपर कम्पोस्ट वर्मी कम्पोस्ट, ट्रेच कम्पोस्ट, बायोडायनेमिक कम्पोस्ट शिवाश कम्पोस्ट सामान्य कम्पोस्ट एवं तरल खादों में वर्मी वाश, जीवामृत, गो-कृपा अमृत, पंचगव्य गो-मूत्र सींग खाद, उपलों का पानी इत्यादि का उत्पादन निरन्तर होता रहता है।

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बलराम वाटिका:-

– यहां बलराम वाटिका में वर्षभर में 57 प्रकार की सब्जियां, 8 प्रकार के पुष्प 40 प्रकार की स्थानीय कृषि फसलें 5 प्रकार की मसाला फसलें 13 प्रकार के फलदार पेड़ 100 प्रकार के औषधीय पेड़ 5 प्रकार की सुगन्धित घास 8 प्रकार की चारा फसलें 3 प्रकार की वानिकी फसले अर्थात् कुल 250 से ज्यादा प्रकार की फसलें यहां उत्पादित होती है।

बलराम वाटिका

इन सब में कई जगहों पर बहुआयामी विकल्प भी है, जिसमें रेज्ड बेड मॉडल, मल्टीलेयर मॉडल, फैमेली फार्मर कॉन्सेप्ट भी प्रमुख हैं।

इन सभी व्यवस्थाओं के ऊपर हमने पिछले 1 वर्ष में विस्तृत वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल पर दिए हैं, आप उन्हें नीचे दिए गए लिंक पर विजिट करके देख सकते हैं।

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