टमाटर की फसल में रात का तापमान बहुत महत्वपूर्ण कारक है, फल स्थापन के लिए 15° से 33° से. तापमान उतम रहता है। परन्तु जब रात का तापमान 12° से. से कम होता है तो फलों का स्थापन बहुत कम हो जाता है तथा दूसरी तरफ जब रात का तापमान 30° से. से ऊपर हो जाता है तो फल काफी हद तक घट जाता है, लेकिन कुछ किस्में ऐसी है जो कम या अधिक तापमान पर भी कुछ सीमा तक फल स्थापन कर लेती है। कम तापमान (10° से. से कम) पर फलों में पीला व लाल रंग बनने में भी कठिनाई होती है। अतः उत्पादक को टमाटर को लगाने का अपने क्षेत्र के अनुसार सही समय चुनना चाहिए ।
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किस्मों का चयन, पौध तैयार करना व रोपाई का समय:-
ग्रीन हाउस में टमाटर की फसल को 7 से 11 महिने तक लगातार उगाया जाता है। अतः लम्बी अवधि के लिये लगातार बढ़ने वाली किस्मों का चयन किया जाता है। इन किस्मों में मुख्य शाखा पर फल गुच्छों में आते हैं तथा एक फल का औसत वजन 100-120 ग्राम होता है। इसमें मुख्यतः बादशाह, देव, अभिनव, हिमशिखर, सुभ्रानों, नवीन, डी.टी. – 1, डी.टी. – 7. ए.आर.टी.एच.- 4, नन- 7711 व 646 किस्में सर्वोतम हैं। ऊंचे बाजार हेतु चेरी टमाटर को भी ग्रीन हाउस में उगाया जाता है तथा इसके लिए 10 से 15 ग्राम प्रति फल औसत भार वाली किस्मों का चयन करना चाहिए। चेरी टमाटर में स्वाद व मिठास अधिक होती है। सामान्यतः इसकी इजराइल में विकसित किस्में बी.आर.- 124 तथा एच.ए.- 818 उपयुक्त है। इसको उगाने की अवधि ग्रीनहाउस के आकार प्रकार व वहां की जलवायु पर निर्भर करती है।
पौधे की दूरी:-
पौधों को आमतौर पर 60-70 सें.मी. कतार से कतार तथा 50-60 से.मी. पौधे से पौधे की दूरी पर लगया जाता है।
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पौधों की कटाई-छंटाई व सहारा देना:-
ग्रीन हाउस या पॉलीहाउस में आमतौर पर पौधे की 2 से 3 मुख्य शाखा को बढ़ने दिया जाता है तथा इसके लिए समय-समय पर विभिन्न दिशाओं में निकलने वाली शाखाओं को निरंतर काटा जाता है। यह प्रक्रिया प्रत्येक 10-15 दिन के अंतराल पर दोहराई जाती है तथा इसको करते समय मुख्य शाखा पर लगे फूल के गुच्छों को सुरक्षित रखा जाता है। टमाटर के पौधों को प्लास्टिक की रस्सी के सहारे ऊपर की और बेल के रूप में बढ़ने दिया जाता है ये रस्सियां ऊपर की ओर 9 से 10 फुट की ऊँचाई पर लोहे के मुख्य तार पर बांध दी जाती है। ये तार क्यारियों के ऊपर लंबाई के अनुरूप एक छोर से दूसरे छोर तक बंधे रहते हैं तथा प्रत्येक लाईन के ऊपर एक मुख्य तार बंधा रहता है।
प्रत्येक रस्सी की लंबाई 15 से 20 मीटर होती है तथा यह मुख्य तार एक चरखी पर लिपटा रहता है जिसको समय-समय पर आवश्यकतानुसार नीचे की ओर बढ़ाया जा सकता है तथा बाद में इन चरखियों का मुख्य तार पर एक लाईन की दिशा में ही आगे बढ़ाया जा सकता है तथा बाद में इन चरखियों को मुख्य तार पर एक लाईन की दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है। फल को पकने के बाद नीचे की ओर से तोड़ा जाता है तथा साथ-साथ पत्तियों को भी नीचे की ओर से हटाया जाना चाहिए।
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सिंचाई व उर्वरक:-
आमतौर पर खाद, उर्वरक व पानी का फसल को देना, भूमि के प्रकार, मौसम तथा फसल की अवस्था पर निर्भर करता है। वैसे फसल को लगातार एक अंतराल पर पानी दिया जाता है तथा उसके साथ ही उर्वरकों का घोल जो सामान्यतः नाइट्रोजन फास्फोरस व पोटाश को 5:3:6 अनुपात में मिलाकर विभिन्न अवस्थाओं पर विभिन्न मात्रा में दिया जाता है।
रोपाई से फूल आने तक 2.0 से 2.5 घन मीटर पानी प्रति एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में दिया जाता है तथा इसके साथ नाइट्रोजन 1 ग्राम / लीटर, फास्फोरस 0.5 ग्राम / लीटर तथा पोटाश 1 ग्राम / लीटर की दर से दिया जाता है। फूल आने से फल स्थापन तक पानी 3.0 से 4.0 घन मीटर व नाइट्रोजन 2 ग्राम / लीटर फास्फोरस 1 ग्राम / लीटर तथा पोटाश 2 ग्राम / लीटर की दर से सिंचाई जल के साथ ड्रीप प्रणाली के द्वारा दिया जाता है। आमतौर पर गर्मी के मौसम में फर्टीगेशन 3-4 दिन के अंतराल पर तथा सर्दी में 6-8 दिन के अंतराल पर किया जाता है। वैसे यह पूर्णतया क्षेत्र विशेष के मौसम, भूमि के प्रकार व फसल अवस्था पर निर्भर करता है।
पादप सुरक्षा:-
आमतौर पर ग्रीनहाउस टमाटर में किसी प्रकार के कीटों व रोगों का प्रकाप नहीं होता है लेकिन कभी-कभी विषाणु रोग (टी.एम.वी.) का यदि कुछ पौधों पर प्रकोप हो तो उन्हें अविलंब उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए। अन्यथा यह कटाई व छंटाई यंत्रों के साथ दूसरे पौधों पर फैल सकता है।
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इसकी रोकथाम हेतू यह भी आवश्यक है कि जो श्रमिक ग्रीनहाउस में रोजाना कार्य करते है वे किसी प्रकार के तंबाकू आदि का प्रयोग ग्रीनहाउस के अंदर न करें तथा हाथों को साबुन से धोकर ही प्रतिदिन कार्य करें। प्रत्येक दिन कटाई-छंटाई में प्रयोग होने वाले यंत्रों को भी रोगाणु रहित किया जाना चाहिए।
फलों की तुड़ाई, ग्रडिंग, उपज व विपणन:-
बड़े आकार की किस्मों के फलों को सामान्यतः एक-एक करके नाकू के साथ (पूंजी बंसलग) ही तोड़ा जाता है तथा तुड़ाई कैंची या तेज धार वाले चाकू जानी चाहिये जिससे टमाटर के पौधों व अन्य फलों को नुकसान न हो। फलों को स्थानीय बाजार हेतु पूर्ण रूप से पकने की (लाल रंग) अवस्था पर ही तोड़ा जाता है तथा तुड़ाई के बाद रंग, आकार व भार के अनुसार ग्रेडिंग करके ऊँचे बाजार में बेचा जाता है। यदि फलों को एक दो दिन बाद बेचना हो तो इन्हें गर्मी के 8-10 डिग्री से. तापमान पर रखा जाता है। सर्दी में उन्हें सामान्य कमरे के तापमान पर भी रखा जा सकता है।
आमतौर पर एक अच्छे वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस से 200 से 220 टन टमाटर की उपज प्रति हैक्टर की दर से प्राप्त की जाती है लेकिन उपज पूर्ण रूप से जलवायु, किस्म व फसल प्रबंधन पर निर्भर रहती है। चेरी टमाटर से 100 से 120 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार ग्रीनहाउस में उत्पादित टमाटर उच्च गुणवत्ता वाला होता है, अतः उत्पादकों को इसे बड़े शहरों के चारों ओर (Peri-urban) खेती करने वाले कृषकों के लिये काफी हद तक लाभदायक व टिकाऊ सिद्ध हो सकती है।
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