तिलहनी फसलों में तोरिया (Toria Farming) कम समय में पकने वाली एवं रबी की सबसे पहले बोयी जाने वाली फसल हैं यह फसल आमतौर पर सभी जिलों में ली जा सकती हैं। इसकी फसल खरीफ की कटाई एवं रबी की बुवाई के बीच के समय में ली जाती है। तोरिया में 42 से 45 प्रतिशत तक तेल होता है तथा इसकी खली पशु आहार के रूप में काम लाई जा सकती है।
उपयुक्त किस्में:-
टी-9 (1978):-
बारानी व सिंचित दोनों परिस्थितियों में उगाये जाने के लिये उपयुक्त यह किस्म 85-100 दिन में पककर 12-15 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज देती है। इसमें तेल की मात्रा 44 प्रतिशत होती है एवं इसके दाने भूरे रंग के होते है।
संगम (1974):-
सिंचित क्षेत्रों के लिये उपयुक्त इस किस्म में 42-44 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। 105 दिन में पककर यह 15 क्विंटल प्रति हैक्टर है उपज देती है।
बेटी एल 15 (1982):-
85-90 दिन में पककर यह किस्म 10 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उपज देती है। इसके पश्चात गेहूं की फसल आसानी से ली जा सकती है।
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खेत की तैयारी एवं भूमि उपचार:-
तोरिया के लिये रेतीली, दोमट एवं हल्की दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त है। भूमि क्षारीय एवं लवणीय नहीं होनी चाहिये। तोरिया की खेती अधिकांशत बारानी क्षेत्र में की जाती है। बारानी खेती के लिये खेत को खरीफ में पड़त छोड़ना चाहिये। पहली जुताई वर्षा ऋतु में मिट्टी पलटने वाले हल से करें। इसके बाद तीन-चार जुताई करें। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगावें, जिससे भूमि में नमी की कमी न हो। सिंचित खेती के लिये भूमि की तैयारी बुवाई के तीन-चार सप्ताह पूर्व प्रारम्भ करें। दीमक और अन्य भूमि गत कीड़ों की रोकथाम हेतु बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से खेत में बिखेरकर जुताई करें। नमी को ध्यान में रखते हुए जुताई के बाद पाटा लगाये।
जैविक खाद एवं उर्वरक प्रयोग:-
सिंचित फसल के लिए 8-10 टन प्रति हेक्टर अच्छा सड़ा हुआ देशी खाद बुवाई के तीन चार सप्ताह पूर्व खेत में डाल कर खेत तैयार करें। असिंचित फसल के लिये 4-5 टन प्रति हैक्टर सड़ी हुई खाद वर्षा से पहले खेत में फैलाकर जुताई कर दें।
मिट्टी परीक्षण की सिफारिश अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करें। इसके अभाव में तोरिया की सिंचित फसल के लिये 40 कि.ग्रा. नत्रजन एवं 20 कि.ग्रा. फॉसफोरस प्रति हैक्टर काम में लेवें। नत्रजन की आधी एवं फॉसफोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय ऊरकर देवें। शेष आधी नत्रजन प्रथम सिंचाई के साथ फसल में देंवे। असिंचित फसल में 20 किग्रा नत्रजन व 10 कि.ग्रा. फॉस्फोरस प्रति हैक्टर बुवाई के समय ऊरकर कर देना चाहिए ।
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बीज की मात्रा, बीजोपचार एवं बुवाई:-
एक हैक्टर में बुनाई के लिये 4 से 5 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त रहता है। बुवाई से पहले बीज को 2.5 ग्राम मैन्कोजेब या 3 ग्राम कैप्टान प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। बीज 30 सेन्टीमीटर दूर कतारों में 5 सेमी की गहराई पर बोयें। असिचिंत क्षेत्र में बीज की गहराई नमी के अनुसार रखें। बीजों के समान वितरण हेतु बीजों को रेत में मिलाकर खेत में करना चाहिये।
बुवाई का समय:-
बुवाई का उपयुक्त समय 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक है। यह फसल खरीफ एवं रबी की फसलों के बीच के समय में उगाई जाती है। अतः रबी में गेहूं की सफलतापूर्वक फसल लेने के लिये तोरिया की बुवाई समय पर करनी चाहिये। जिन खेतों में तोरिया के बाद गेहूं बोना हो वहां तोरिया की टी एल 15 किस्म बोयें।
सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई:-
तोरिया की जड़ें गहरी नहीं जाती है। अतः सिंचित क्षेत्रों में दो बार सिंचाई देने पर आशातीत उपज प्राप्त होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 30 से 35 दिन बाद फूल आने से पहले करें। तत्पश्चात् आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई 70-80 दिन बाद करें। अगर एक ही सिंचाई देनी हो तो फूल खिलने की अवस्था करनी चाहिए।
पौधों की संख्या अधिक हो तो बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई के साथ छंटाई कर पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेन्टीमीटर कर देवें। सिंचाई के बाद गुड़ाई करने से खरपतवार नष्ट हो जायेंगे और फसल की बढ़वार अच्छी होगी।
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पौध संरक्षण:-
पेन्टेड बग व आरा मक्खी:-
अंकुरण के 7-10 दिन में ये कीट अधिक हानि पहुंचाते है। इनकी रोकथाम के लिये सुबह या शाम के समय मिथाइल पैराथियॉन (2 प्रतिशत) या मैलाथियॉन (5 प्रतिशत) चूर्ण 20-25 कि.ग्रा. का प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें।
हीरक तितली (डायमण्ड बैंक मॉथ):-
इसकी रोकथाम हेतु क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 1 लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़के।
मोयला:-
मोयला की रोकथाम हेतु मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत या मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से भूरकाव करें अथवा पानी की सुविधा वाले स्थानों में डायमिथोएट 30 ई.सी. 875 मिलीलीटर, प्रति हैक्टर की दर से 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
सफेद रोली, झुलसा व तुलासिता:-
रोग दिखाई देते ही 2 किलो मैन्कोजेब प्रति हैक्टर की दर से छिड़कें। आवश्यकतानुसार 20 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें।
छाछ्या रोग:-
इसके लक्षण दिखाई देते ही 20 कि.ग्रा. गन्धक पूर्ण प्रति हैक्टर भुरकाव करें या 2.5 किलो घुलनशील गन्धक अथवा 750 मिलीलिटर डाईनोकेप को पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
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कटाई एंव पैदावार:-
फसल दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक पक जाती हैं जब पत्ते झड़ने लगे और फलियां पीली पड़ने लगे तो फसल काट ले। कटाई में देरी होने पर दाने खेत में झड़ जाने की आशंका रहती है। तोरिया की फसल से 10-12 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है।
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