खीरा मुख्यतयाः गर्म मौसम की फसल है, लेकिन पॉली हाऊस में खीरा की खेती सालभर सफलतापूर्वक की जा सकती है। खीरा की उत्पादन तकनीक इस प्रकार है।
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उन्नत किस्में: –
सेटिश कियान, इनफाइनीटी, हिल्टन, मल्टिस्टार, डायनेमिक, कापका आदि।
तापमान एवं आर्द्रता:-
खीरा गर्म मौसम की फसल है। खुले वातावरण में इसकी खेती फरवरी-मार्च से लेकर सितम्बर तक की जा सकती है। ग्रीन/ पॉली हाऊस में खीरा की खेती सालभर की जा सकती है इसके अंकुरण के लिए 20° से. तापमान उपयुक्त रहता है तथा पौधो की वृद्धि एवं विकास के लिए 22° से 30° से. तापमान अनुकूल रहता है। आपेक्षित आर्द्रता 70-80 प्रतिशत उपयुक्त रहती है।
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नर्सरी तैयार करना:-
सामान्यतया खीरे की सीधी बुवाई की जाती है, परन्तु पाली हाऊस में फसल सघनता बढाने के लिए के लिए प्रो. ट्रे में पौध तैयार की जाती है। खीरो की पौध मौसम के अनुसार 12-15 दिन में तैयार हो जाती है। जब पौधे में बीजपत्रों के अलावा दो पत्तियां आ जाती है, तब पौधा स्थानान्तरण योग्य माना जाता हैं।
क्यारियाँ तैयार करना एवं रोपाई करना:-
क्यारियों की ऊँचाई 30 सेमी., चौडाई एक मीटर एवं लम्बाई पाली हाऊस के आकार के अनुसार रखी जाती है। दो बेड के बीच में 60 सेमी. पाथ रखा जाना चाहिए।
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पौधो की ट्रेनिंग एवं कृन्तन:-
अन्य कदुवर्गिय फसलों की तरह खीरा भी रेगने वाली लताए होती है, एवं पौधों की वृद्धि के साथ-साथ सहारा नहीं मिलने पर पौधे जमीन पर ही फैलने लगते है। पौधा रोपण के 15 दिन बाद पौधे से धागाकार / तन्तु संरचनाऐ निकलती है। इस समय से पौधे को सहारे की आवश्यकता होती है। अतः धागे / तन्तु लटकने से पहले पौधे को सूतली की सहायता से ऊपर की ओर सहारा दिया जाता है। पौधों की वृद्धि शीघ्र होती है इसलिए सप्ताह में दो बार पौधे की ट्रेनिंग करनी चाहिए। मुख्य तने से निकलने वाली फूटानो एवं पुरानी पत्तियों को भी समय-समय पर हटाते रहना चाहिए।
तुड़ाई एवं उपज:-
पौधारोपण के 30-35 दिन बाद पहली तुड़ाई की जाती है, तत्पश्चात अगले 60 दिन तक लगातार तुड़ाई की जा सकती है। प्रति पौधा 20-25 फल लगते है जिनका वजन लगभग 4 किलो होता है। इस प्रकार प्रति 1000 मीटर क्षेत्र से लगभग 100 क्विंटल उत्पादन हो जाता है।
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