भिण्डी सरीखी सब्जियों की मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है। कोई भी किसान भिंडी की अगेती खेती कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकता है। प्रदेश और दूसरे राज्यों के बहुत से किसान भिण्डी की अगेती खेती करके अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे है।
बुवाई का उचित समय:-
भिंडी की अगेती खेती के लिए किसान को फरवरी से मार्च माह के दौरान भिण्डी की बुवाई करनी होती है। करीब डेढ़ से दो माह में फसल तैयार हो जाती है और किसान हैक्टेयर से 60-70 क्विंटल तक उपज ले सकता है।
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गर्म नम वातावरण भिंडी के लिए होता है श्रेष्ठ:-
भिंडी की अगेती खेती के लिए लंबी अवधि का गर्म नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिए 27-30 डिग्री सेग्रे तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डिग्री सेग्रे से कम पर बीज अंकुरित नहीं होता। यह फसल ग्रीष्म तथा खरीफ दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की जमीन में उगाया जा सकता है। भूमि की दो-तीन बार जुताई कर भुरभुरी कर मेज चलाकर समतल कर लेना चाहिए।
भिंडी की अगेती खेती बीज दर:-
18-20 किग्रा बीज प्रति हैक्टे, की दर से बुवाई करें। बीजों को बुवाई से पहले 12 से 24 घंटे तक पानी में डुबोकर रखें। तीन ग्राम थायरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।
बुवाई:-
कतार से कतार के बीच की दूरी 25-30 सेमी रहनी चाहिए। पौधों के बीच की दूरी 15 से 20 सेमी होनी चाहिए।
सिंचाई:-
बुवाई से पहले एक बार सिंचाई जरूरी है। गर्मी पर किसान पांच से सात दिन में एक बार सिंचाई कर सकता है।
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निराई-गुड़ाई:-
बुवाई के 15 से 20 दिनों के बाद निराई-गुड़ाई करना जरूरी है। खरपतवार हटाने के कार्य को नियमित रूप से करें। जिससे फसल में बीमारियां काम आएगी और उत्पादन भी बढ़ेगा।
रोग नियंत्रण:-
भिंडी में येलोवन मोजेक रोग में पौधा पीला पड़ जाता है। इसके नियंत्रण के लिए एक लीटर मेलाथियान 800-1000 लीटर पानी में मिलाएं। इस घोल का 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
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