देशभर में मल्टीलेयर फार्मिंग के कई मॉडल प्रचलित हैं, जिसमे किसान सालभर में कई फसले एक साथ उगाते हैं और उनसे एक अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं, ऐसा ही एक मॉडल खरगोन जिले बिस्टान क्षेत्र के अविनाश दांगी ने किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाया हैं। इस मॉडल का सबसे खूबसूरत पहलू यह है कि इससे हर मौसम में लगातार आय निश्चित रूप से संभव है।
इसकी शुरूआत इन्होंने पिछले जून में की थी जो जून 2022 तक चलेगी। जिसमे 1 हेक्टेयर भूमि में 1 वर्ष में वह 70 तरह की विभिन्न फसलों की खेती का लाजवाब प्रयोग कर रहे हैं। इनके खेत में अभी 18 तरह की सब्जियां, 32 तरह के फल और चार मसाले वाली फसलें लगी है। एक या दो नहीं बल्कि भरपूर मुनाफा दे सके, इतनी संख्या में हैं। फसले करीब 360 फिट लम्बी 21 कतारों के रूप में लगी हैं।
इन्होने इन फसलों के प्रबंधन के लिहाज से पर्याप्त संख्या में लगाई हैं। जिससे की हर फसल को एक दूसरी फसल के सहयोग मिल सके। जून से दिसंबर तक धनिया, मूंगफली, उड़द, गेंदाफूल और स्वीटकॉर्न की फसलें ले चुके हैं। जिससे उन्हें लगभग 1 लाख का लाभ हुआ है। वर्तमान में अविनाश के मॉडल में 53 फसले देखी जा सकती है, अविनाश यह मल्टीलेयर फार्मिंग का मॉडल कृषि और उद्यानिकी विभाग के अधिकारीयों के सहयोग से तैयार कर रहे हैं।
45 दिनों से 45 वर्षों तक खेती से आय का फार्मूला:-
अविनाश बताते हैं कि जैविक व प्राकृतिक खेती के संदर्भ में यह मॉडल मल्टी लेयर मल्टी क्रॉप फ्रूट फॉरेस्ट फैमिली फार्मिंग मॉडल है। मल्टी लेयर से मतलब है भूमि के अंदर से उपर तक 5 से 6 परतों में विभिन्न फसलों की खेती करना है। ऐसे मॉडल में किसी भी परिवार की जरूरतों के मुताबिक हर सिजन में फल सब्जी, अनाज या दाले उपलब्ध होगी। इस मॉडल में 4 से 5 वर्ष में प्राकृतिक पॉलीहॉउस का निर्माण होगा। इसी प्रबंधन के साथ हर एक फसल को लगाया गया है। अभी मौसम के अनुकूल ही फसले लगाई गई हैं। इस मॉडल में भी ड्रिप और फ्लड सिंचाई का ही उपयोग कीया जाता हैं।
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फास्ट फूड में शामिल सब्जी व फलों की जैविक खेती:-
फास्ट फूड के प्रचलन को देखते हुए सब्जियां लगाई है। जिसमे की ग्रीन व ब्लेक बॉकचोय, ग्रीन व रेड लेट्यूस, बाकला, बरबटी, ब्रोकली, और फ्रेंच बिन्स के अलावा फूलगोभी, लाल व सफेद मूली रेड व हरी पत्तागोभी, पर्पल, रंगीन व ऑरेंज फूलगोभी, पालक व मेथी शामिल है। इसके अलावा फलदार पौधों में पपीता, सुरजना व केला, चार किस्म के सीताफल व सात किस्म के अमरूद, नारियल, मोसंबी, संतरा, आम, नींबू, कटहल, चीकू, सेवफल, अंजीर, लाल व हरा आंवला, जामुन, अनार, वॉटर एपल, लीची, चेरी, फालसा, काजू व रामफल के पौधे हैं। अभी अरहर, चना, हल्दी व अदरक तैयार हैं। आगे उनकी जगह पर खीरा, करेला, धनिया, टमाटर, मूंग व औषधीय पौधे लगाएंगे।
मल्टीलेयर फार्मिंग मॉडल के फायदे:-
इस मल्टीलेयर फार्मिंग मॉडल से कई तरह के फायदे हैं। कुछ फायदे भूमि को है तो कुछ फायदे सीधे वातावरण को भी है। एक ओर जहां इस मॉडल से मानव या किसान को फायदा है तो दूसरी ओर अनगिनत पक्षियों की प्रजाति लिए भी शरणगाह के रूप में लाभ है। इसके अलावा प्रकृति में संतुलन, जैव विविधता भी बनी रहती है। पोषक तत्वों का प्रबंधन कोट प्रबंधन, पानी का बचाव, कम लागत में अधिक उत्पादन, समय की बचत और परिवार की आवश्यकता वाली सभी जरूरतें एक ही स्थान पर पुरी हो सकेगी।
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किसानों के लिए बनाएंगे प्रशिक्षण प्रक्षेत्र:-
अविनाश का आगामी समय में किसानों के लिए उन्नत कृषि को लेकर बेहतर कार्य करने की योजना है। उन्नत कृषि माडल बनाकर जागरूक किसानों को तकनीक और आवश्यक सहायता व मदद करना है।
मिल चुके हैं कई सम्मान:-
अविनाश को अब तक पांच जिला स्तरीय पुरस्कार पांच निजी कंपनियों के पुरस्कार के साथ राज्य स्तरीय जैव विविधता पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। आर्गेनिक इंडिया द्वारा वर्ष 2019 में नेशनल फयनलिस्ट की टाप टेन की सूची में शामिल किया है।
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