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मिट्टी की जाँच क्यों और कब ?

मिट्टी की जाँच
Written by Bheru Lal Gaderi

सघन खेती के कारण मिट्टी में उत्पन्न विकारो की जानकारी। मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा ज्ञात कर बोई जाने वाली फसल के लिये खाद एवं उर्वरकों की मात्रा निर्धारित करना । मिट्टी की समस्याओं जैसे लवणीयता, क्षारीयता की पहचान एवं भूमि सुधार के उपाय। फल वृक्षों के सफल उत्पादन हेतु । संतुलित उर्वरक प्रबंधन से अधिक लाभ के लिए मिट्टी की जाँच आवश्यक है।

मिटटी जाँच के लिए सेम्पल कैसे ले के बारे अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें

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मिट्टी की जाँच कब ?:-

  1. फसल की कटाई हो जाने अथवा खड़ी फसल में ।
  2. फसल मौसम शुरू होने से पूर्व।
  3. भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो ।

मिट्टी की जाँच के लिए आवश्यक सामग्री:-

खुरपी, फावड़ा, गेती, तगारी, नमूना लेने का बर्मा (ओगर) थैली, धागा आदि।

नमूना कैसे लें?:-

  • खेत के अंदर का क्षेत्र, मिट्टी का रंग व प्रकार, ढाल, फसल की बढ़वार खेत असमान हो तो, खेत को विभिन्न क्षेत्रों में बांटकर प्रत्येक क्षेत्र का अलग-अलग नमूना लिया जाये। अर्थात् नमूने के तौर पर ली जाने वाली मिट्टी का हिस्सा हर प्रकार से एक गुणी होनी चाहिये।
  • मिट्टी की ऊपरी सतह से घास-फूस साफ कर लें। संयुक्त एवं प्रतिनिधित्व नमूना बनाने हेतु खेत में 8 से 20 जगह से यादच्छिक (रेन्डम) चयन करें।
  • उर्वरक सिफारिश हेतु 0-22 से.मी. ( 9 इंच) की गहराई तक एक आकार का खड्डा बनावें। खड्डे की एक दीवार से 1 इंच मोटी मिट्टी की पतली परत खड्डे की पूरी गहराई तक काट लें। इसी प्रकार अन्य स्थानों से भी मिट्टी काटे तथा साफ तगारी, बाल्टी या ट्रे में एकत्रित करें।
  • नमूना जिग-जेग विधि से ही लिया जाना चाहिये।
  • जहां फसल कतारों में बोई गई हो वहां कतारों के बीच से नमूना लें।
  • एकत्र की गई मिट्टी को हाथ से अच्छी तरह मिलायें। अब मिट्टी को फैलाकर बीच में आड़ी व खड़ी लाइन डालकर चार भागों में बांट लेवें, इसमें आमने-सामने के दो भाग रखें बाकी को हटा दें। यह प्रक्रिया तब तक दोहरायें जब तक मिट्टी का भार 1/2 कि.ग्रा. रह जाये।

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सैंपल कैसे तैयार करें:-

इस मिट्टी को एक साफ थैली में भरकर दो मोटे कागज के टुकड़ों पर निम्न सूचना लिखकर एक टुकड़ा थैली के अंदर व दूसरा थैली के मुंह पर बांध देना चाहिये।

  1. कृषक का नाम
  2. खेत की संख्या / पहचान
  3. पता
  4. सिंचित/असिंचित
  5. फसल का नाम जिसके लिये सिफारिश चाहिये।
  6. अन्य कोई समस्या / जानकारी।

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ध्यान रखें:-

  1. असाधारण क्षेत्र जैसे रास्ता, सिंचाई की नाली, पुरानी मेड़, खाद का ढेर, पेड़-झाड़ आदि के आस-पास से नमूना नहीं लें।
  2. वर्षा के तुरंत बाद, खाद व उर्वरक उपयोग के तुरंत बाद नमूना नहीं लें।
  3. दल दल वाले क्षेत्र, निचले क्षेत्र या पुराने बांध, खड्डों से नमूना नहीं लें।
  4. लाईन वाली फसल में कुंड के मध्य से नमूना लें।
  5. तैयार नमूना खुल्ला नहीं छोड़ें।

ऊसर भूमि का नमूना लेना:-

ऊसर भूमि सुधार की प्रक्रिया सही ढंग से हो इसके लिये चार विभिन्न गहराई से मिट्टी का नमूना लिया जाना चाहिये। ऊसर भूमि से नमूना बरमा से 1 मीटर गहराई तक खड्डा खोदकर इस प्रकार लेवें ।

  • खड्डे की एक तरफ की दीवार सीधी कर लें व ऊपर से 15, 30 और 60 से.मी. की गहराई तक निशान लगावें।
  • सीधी दीवार से 15 से.मी. तक कस्सी से मिटटी सहित बाहर निकाल लें। कस्सी की मिट्टी हटाकर बीच का हिस्सा साफ कपड़े पर रखें।
  • इसी तरह 15-30, 30-60 और 60-100 से.मी. की गहराई का नमूना लेवें।
  • नमूने की मात्रा प्रत्येक गहराई से करीब आधा किलो होनी चाहिये।
  • हर एक नमूने को अलग थैली में भरे। गहराई, ढलान, ऊसर बनने का कारण, वर्षा, फसल चक्र, भूमिगत जलस्तर आदि (यदि जानते हैं) कागज की पर्ची में लिखकर थैली में रख दें।

इसी प्रकार बाग लगाने हेतु मिट्टी का नमूना खड्डा खोदकर ऊपरी सतह से 30 सेमी. तक, 30-60, 60-100 तथा 100-150 से.मी. की गहराई से लेवें। कठोर सतह अथवा कंकर की सतह से उसकी गहराई एवं मोटाई नोट कर लें एवं इसका नमूना अलग से लेंवे ।

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