मुफलिसी और मेहनत आदमी को बहुत कुछ बदल देती है। जीवन में यदि बडा व्यक्ति बनना है तो मेहनत एंव कठोर परिश्रम से व्यक्ति को कभी पिछे नही हटना चाहिये और ना ही मेहनत करने मे शर्म महसुस करना चाहिये । यदि व्यक्ति मे इस प्रकार के गुण है तो निश्चीत ही वही जीवन में सफलता की सिढी चढकर सफल व्यक्ति बन सकता है। राजौद क्षेत्र का एक युवा किसान मुकेश मदारिया इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
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वर्तमान समय मे खेती किसान वर्ग के लिये एक जुए के समान हो चुकी है । कभी किस फसल का भाव आसमान चढ जाये और कब उतर जाये कुछ कहा नही जा सकता है। वही बारिश ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा भी समय समय पर परिक्षाये लेती रहती है। लेकिन इसके ठीक विपरीत राजौद के युवा किसान मुकेश मदारिया ने खेती को कम जोखिम और लाभ वाला धंधा बना दिया। वर्तमान मे अधिकांश स्थानो पर किसान सोयाबीन, गेहुँ, मक्का, कपास जैसी ही फसलो की खेती करते है। लेकिन राजौद क्षेत्र मे किसानो ने उद्यानिकी फसलो का उत्पादन लेकर अपनी तकदीर ही बदल दी है।
10 बिघा और भुमि खरीदी:-
किसान मुकेश मदारिया ने अपनी 10 बिघा पैतृक जमीन पर पहले, संतरा, पपीता, अमरूद, बैर जैसी फसले ली वही अब अमरूद के पौधे बेच कर ही कम समय मे लाखो रूकमा रहे है। यही नही इस युवा ने दिन रात कठोर मेहनत एंव परिश्रम करके 10 बिघा और भुमि खरीद कर बता दिया की मेहनत करो तो सबकुछ आसान है। राजौद क्षेत्र में वीएनआर प्रजाती के अमरूद के बाग बहुत है।
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पहले पौधे लाये छत्तीसगढ से:-
पहले इसके पौधे छत्तीसगढ के रायपुर से लाये गये थे। लेकिन धिरे – धिरे किसानो ने यही पर पौधे बनाने का सिलसिला आरंभ किया। जो की जारी है। किसान मुकेश मदारिया हर समय कुछ ना कुछ नया करने की सोच रखते है। बीएसी तक शिक्षीत यह युवा किसान कभी परिश्रम से पिछे नही हटता ।
अमरूद की नई प्रजाती रेड डायमंड:-
अमरूद की नई प्रजाती रेड डायमंड के कुछ पौधे इस किसान ने गुजरात से लाकर अपने खेत पर लगाये। शुरूआती दौर मे फसल ली जो अन्य अमरूदो से कुछ हटकर है।
किसान मुकेश मदारिया बताते है की वीएनआर और पिंक वैरायटी के अमरूद बहुत हो चुका है। बाजार मे कोई नई चीज आती है तो शुरूआती 5 से 6 वर्ष मे उससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसलिये उनका रूझान अमरूद की नई किस्म रेड डायमंड की और गया ।
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रेड डायमंड का भाव:-
रेड डायमंड का अधिकतम भाव 140 रू किलो तक रहता है और कम से कम यह 80 रूकिलो तक तो बिक ही जाता है। वही यदि इसकी पैकिंग और देखभाल नही करे तो भी स्थानीय बाजार में ही 40 रू किलो तक आसानी से बिक जाता है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है की पौधे से तोडने के बाद 7 से 8 दिनो तक यह खराब नही होता है। बीज भी नाम मात्र के 5 से 6 एक पल मे होते है । वही खाने मे भी बहुत स्वादिष्ट होता है। साथ ही इसके पौधे मे रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से मौसमी बिमारीयो का प्रभाव भी इस पर नाम मात्र का ही रहता है। रेड डायमंड अमरूद का छिलका ही ग्रीन कलर मे होता है बाकी पुरा अमरूद रेड डायमंड होता है।
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पौधे बेचकर ही इस तरह कमायेगे लाखो:-
वैसे किसान अमरूद के पौधे के बजाय फल बेचकर पैसे कमाते है लेकिन मुकेश जैसे युवा किसान की सोच अलग है। उनका मानना है की यदि कोई चीज नई है तो उसका अधिक से अधिक फैलाव करे। अपने खेत पर लगाये गये 1000 रेड डायमंड के पौधो से फल लेने के बजाय उन्होने साईड ग्राफ्टिग पद्धति से खेत पर ही पेड से पौधे तैयार कर अच्छा खासा मुनाफा कमाने तैयारी कर ली है।
एक पेड से इस पद्धति के द्वारा वै 50 पौधे तैयार कर रहे है। जो की 140 रू प्रति पौधे के हिसाब से बेच रहे है। 3000 पौधे का आर्डर तो निमाड क्षेत्र के एक ही किसान का है।
वैसे यदि मुकेश जैसे युवा किसान की तरह किसान नई सोच एंव नई तकनिकी के साथ खेती करे तो खेती उनके लिये लाभ का सौदा ही सिद्ध होगी।
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