राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission) के तहत के तहत बागवानी फसलों-फल, सब्जियां, मसाले, फूल, औषधीय एवं सुगंधीय पौधों के सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे है। योजना के अंतर्गत क्षेत्र विशेष की कृषि जलवायवीय स्थितियों में तुलनात्मक रूप से सर्वाधिक उपयुक्त एवं संभावना वाली बागवानी फसलों की वर्तमान भविष्य की मांग को देखते हुए सघन रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मुख्य रूप से नये फल बगीचों की स्थापना, पौध रोपण सामग्री का उत्पादन, बीज, ढांचागत सुविधाओं का विकास, पुराने बगीचों का जीर्णोद्धार, संक्षित खेती(ग्रीन हॉउस, शेडनेट हॉउस, आदि), जलस्रोतों, का विकास, समन्वित कीट/ व्याधि प्रबंधन, जैविक खेती, मधुमक्खी पालन, मानव संसाधन विकास, कार्यक्रम एवं फसलोत्तर प्रबंध आदि मुख्य गतिविधियों का क्रियान्वन किया जा रहा है।
बगीचों की स्थापना:-
क्षेत्र विशेष की अनुकूलता के अनुसार किन्नू, संतरा, अनार, बेलपत्र, मौसमी, नींबू, अमरुद, बेर, आम, पपीता आदि फलों के बगीचे स्थापित करवाए जा रहे है।
मसलों में मेथी, जीरा, सौंफ, धनिया, लहसुन, तथा फूलों में गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, गेलाडिया आदि के बगीचों की स्थापना करवाई जा रही है।
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पौध रोपण सामग्री का उत्पादन:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पौधरोपण सामग्री की उत्पादन क्षमता व गुणवत्ता में वृद्धि के लिए हाईटेक नर्सरी, छोटी नर्सरी स्थापना पर अनुदान देय।
हाईटेक नर्सरी:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत हाईटेक नर्सरी की लागत प्रति हेक्टेयर रु. 25 लाख निर्धारित की गई है। एक लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र में नर्सरी स्थापना हेतु अनुदान प्राप्त कर सकता है। निजी क्षेत्र में हाईटेक नर्सरी स्थापना पर लागत का 40% अधिकतम 10 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए रु. 40 लाख क्रेडिट बैंक एन्डेड अनुदान देय है। हाईटेक नर्सरी को उच्च गुणवत्तायुक्त फलों के 50,000 पौधे प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष वानस्पतिक प्रसारण विधि से तैयार करने होंगे।
छोटी नर्सरी:-
छोटी नर्सरी की लागत प्रति हेक्टेयर रु. 15 लाख निर्धारित की गई है। निजी क्षेत्र में एक लाभार्थी को अधिकतम 1 हेक्टेयर क्षेत्र में नर्सरी स्थापना हेतु लागत का 50% अधिकतम रु. 7.50 लाख क्रेडिट लिंक्ड बैक एन्डेड अनुदान देय है। नर्सरी को उच्च गुणवत्तायुक्त फलों के 25,000 पौधे प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष वानस्पतिक प्रसारण विधि से तैयार करने होंगे।
बीज बुनियादी ढांचा विकास:-
बीजों के उचित रख-रखाव, भण्डार तथा पैकेजिंग की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचा जैसे- शुष्क प्लेटफार्म, भण्डारण बिन्स, पैकेजिंग यूनिट और इससे सम्बंधित उपकरण लगाए जाने सम्बंधित के लिए सहायता का प्रावधान है। निजी क्षेत्र को क्रेडिट बैक एन्डेड सब्सिडी, जो परियोजना लागत की 50% अधिकतम रु 100 लाख प्रति लाभार्थी तक होगी, की सहायता उपलब्ध है।
पुराने बगीचों का जीर्णोद्धार:-
फल बगीचों में जीर्ण व् पुराने पेड़ो को हटाकर इनके स्थान पर नए स्टॉक को पुनः रोपित करके उत्पादकता वृद्धि कार्यक्रम शुरू करने पर लगत का 50% अधिकतम रु 20,000 प्रति हेक्टेयर, एक लाभार्थी को अधिकतम 2 हेक्टेयर तक अनुदान देय है।
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जलस्रोतों का विकास:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत बागवानी फसलों को जीवन रक्षक सिंचाई सुनिश्चित करने हेतु प्लास्टिक/आरसीसी लाइनिंग के साथ ऑन फार्म वाटर रेजवायर्स के माध्यम से जलस्रोत विकास पर देय अनुदान का विवरण इस प्रकार है –
सामुदायिक जल स्रोतों का विकास:-
कृषक समूहों द्वारा 10 हेक्टेयर क्षेत्र के कमांड हेतु 100x100x3 मीटर साइज के ऑन फार्म पॉन्ड्स/ऑन फार्म वाटर रेजरवायर्स के निर्धारित बीआईएस मापदंड की न्यूनतम 500 माइक्रोन। फिल्म/आर.सी. सी. लाइनिंग से निर्माण पर इकाई लागत रु 20 लाख प्रति इकाई का शाट प्रतिशत या अन्य छोटी साइज के जल स्रोत निर्माण पर कमाण्ड के अनुसार यथा अनुपात अनुदान देय।
एकल जल स्रोत/फार्म पौण्ड:-
एकल कृषक द्वारा दो हेक्टयर क्षेत्र के कमांड क्षेत्र के लिए 20 मीटर चौड़ाई व 3 मीटर गहराई आकार के फार्म पौण्ड/ मापदंड अनुसार 300 माइक्रोन प्लास्टिक फिल्म/आर.सी.सी. लाइंनिग से निर्माण पर इकाई लागत रु 1.50 लाख का 50% अधिकतम रु 75,000 अनुदान देय है। छोटे आकार के पौण्ड/टैंक के लिए अनुपात आधारित अनुदान देय है।
एंटी बार्ड नेट:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत उद्यानिक फसलों में पक्षियों के नुकसान को कम करके उत्पादकता बढ़ाये जाने हेतु एंटी बार्ड नेट के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग द्वारा सूचीबद्ध फर्मस से बागवानी फसलों में एंटी बर्ड नेट उपयोग करने पर अनुमानित लागत रु 35 प्रति वर्गमीटर या सूचीबद्ध की दर दोनों में से जो भी कम हो, का 50% की दर से अनुदान देय है।
समन्वित कीट/पोषक तत्व प्रबंधन:-
समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन(I.N.M.) /समन्वित कीट तत्व प्रबंधन(I.P.M.) को बढ़ावा देने हेतु लागत का 30% अधिकतम रु 1200 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रति लाभार्थी 4 हेक्टेयर तक अनुदान देय है।
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जैविक खेती:-
जैविक विधि से उत्पादित खाद्य सामग्री की बढाती मांग को देखते हुए बागवानी फसलों में जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु लागत का 50% अधिकतम रु 10000 प्रति हेक्टेयर प्रति लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र तक तीन वर्षों में 40:30:30 के अनुपात में अनुदान देय है।
प्रथम वर्ष में रु 4000 एवं द्वितीय व तृतीय वर्ष में रु 3000 देय है। यह कार्यक्रम जैविक खेती प्रामणीकरण हेतु 50 हेक्टेयर के क्लस्टर के लिए रु 5 लाख जो की प्रथम वर्ष में रु 1.5 लाख रूपये एवं तृतीय वर्ष में रु 2 लाख अनुदान देय है।
वर्मीकम्पोस्ट इकाइयों की स्थापना:-
जैविक अदान उत्पादन हेतु 30x8x2.5 फिट आकार के पक्के निर्माण के साथ वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना हेतु लागत का 50% अधिकतम रु 50,000 प्रति इकाई आकार अनुसार यथानुपात अनुदान देय है। वर्मी बीएड इकाई फीट स्थापना हेतु लागत का 50% अधिकतम रु 8000 प्रति इकाई आकार अनुसार यथावत अनुदान देय है।
उद्यानिकी में यंत्रीकरण:-
फसल उत्पादन लागत में कमी व उत्पादकता को बढ़ाये जाने हेतु उद्यानिकी में यंत्रीकरण कार्यक्रम के तहत कृषकों, उत्पादक संघ, कृषक समूह, (कम से कम 10 सदस्य) जो बागवानी फसलों की खेती करते है, को शक्ति चलित उपकरणों पर अनुदान देय है।
समन्वित फसल प्रबंधन:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत फसल तुड़ाई उपरांत प्रबंधन में पैकेजिंग, ग्रेडिंग, परिवहन, संसाधन और पकाई तथा भण्डारण शामिल है।ये सुविधाएं बागवानी उत्पादन की विपणनता को बढ़ाने, उत्पादन के मूल्यवर्धन, को बढ़ाने और नुकसान कम करने के लिए बागवानी फसलों के शीत भण्डारण परिवहन, विपणन, पैकेजिंग, और ग्रेडिंग तथा निर्यात के लिए बुनियादी ढांचे सम्बन्धी सुविधाओं के नेटवर्क की स्थापना को प्रोत्साहित करने हेतु अनुदान देय है।
इसके लिए पैक हॉउस स्थापना, प्री-कूलिंग यूनिट, रेफ्रिजरेटर वेन, शीत भण्डारण सरंचना, कोल्ड स्टोरेज प्रसंस्करण इकाई, समन्वित कोल्ड चैन सप्लाई, सिस्टम आदि परियोजनाओं पर उधमियों/कृषक/कृषक समूह, सहकारी समिति, उत्पादक संघ, कम्पनीज, स्वयं सहयता समूह, महिला कृषक समूह, आदि क्रेडिट लिंक बैक एन्डेड सब्सिडी के रूप में सहायता देय।
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सरंक्षित कृषि:-
राजस्थान के मेवाड़ (उदयपुर डिवीजन) में 56,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में सरंक्षित खेती की जा रही है, पद्धति के द्वारा लाल, हरी और पीली शिमला मिर्च, सीडलेस खीरा व कुछ फूलों की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है। हालांकि फर्टिगेशन की प्रक्रिया अभी हस्तचालित है। किसान भाई लोग मशीन से की जाने वाली फर्टिगेशन की तकनीक का उपयोग कर सकते है।
ग्रीन हाउस एवं शेड नेट हाउस की स्थापना:-
कृषि जलवायुवीय कारक – तापक्रम, आद्रर्ता व् सूर्य के प्रकाश को नियंत्रित करके सब्जियों, फूलों, व फलों आदि उद्यानिक फसलों की खेती ग्रीन हाउस, शेडनेटड हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, लो टनल्स, एन्टी बर्डनेट व सरंक्षित सरंचना में अधिक मूल्य वाली सब्जियों एवं फूलों के बीज/पौध रोपण सामग्री के लिए अनुदान देय है।
प्लास्टिक मल्चिंग:-
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत उद्यानिक फसलों में खरपतवार नियंत्रण जल के कुशलतम उपयोग एवं फसल उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाये जाने हेतु प्लास्टिक मल्चिंग के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए प्लास्टिक मल्च की लागत का 50% अधिकतम राशि रु 16000 प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान देय है।
प्लास्टिक टनल:-
उद्यानिक फसलों को शीत के प्रकोप से बचाने हेतु प्लास्टिक टनल के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कृषक को इस हेतु विभाग द्वारा एम्पेनल फर्मस से बागवानी फसलों में लो-टनल उपयोग करने पर अनुमानित लगत रु 60 प्रति वर्गमीटर या सूचीबद्ध फार्मों की दर दोनों में से जो भी कम हो का 50% अनुदान देय है।
राज्य सरकार से प्रोत्साहन:-
- राष्ट्रिय बागवानी मिशन व अन्य बागवानी विकास योजनाओं के तहत ग्रीनहॉउस व शेडनेट हाउस स्थापना हेतु निर्धारित इकाई लागत का 50% अधिकतम 4000 वर्गमीटर प्रति लाभार्थी अनुदान देय है। इस तकनीक की स्थापना लगत में आने वाली अधिक लगत देखते हुए लघु, सीमांत, अनुसूचित जाती व अनसूचित जनजाति के कृषकों को राज्य योजना मद से 20% अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है।
- पोलीहॉउस में खेती की अधिक लगत को देखते हुए अधिक मूल्य वाली सब्जियों की ओढ़ रोपण सामग्री व कष्ट की अनुमानित लगत रु 140 प्रति वर्ग मीटर का 50% अनुदान देय है।
- इसी तरह पोलीहॉउस, शेडनेट हाउस में कारनेशन एवं जरबेरा फूलों की पौध रोपण सामग्री एवं कष्ट की अनुमानित लगत रु. 610 प्रति वर्गमीटर का 50% अनुदान का प्रावधान है।
- ऐसे कृषक को पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस में गुलाब की खेती करना चाहते है उन्हें गुलाब की पौध रोपण सामग्री एवं काश्त की अनुमानित लागत रु 426 प्रति वर्ग मीटर का 50% अनुदान देय है।
- इन गतिविधियों हेतु प्रति लाभार्थी अधिकतम 4000 वर्गमीटर तक अनुदान देय है।
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राष्ट्रिय बांस मिशन:-
राष्ट्रिय बांस मिशन के तहत बांसवाड़ा, बारां, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर, उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद, एवं सिरोही जिलों में क्रियन्वित किए जा रहे है।
बागवानी में अभिनव कार्यक्रम:-
कृषकों की आमदनी में वृद्धि एवं परम्परागत कृषि के विकल्प के रूप में जैतून, स्ट्राबेरी, ड्रेगन फ्रूट, अनार, किनवा उत्पादन हेतु अभिनव कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे है।
राष्ट्रीय औषधीय पादप मिशन:-
राष्ट्रीय औषधीय पादप मिशन का मुख्य उद्देश्य आयुष उद्योग को लगातार कच्चे मॉल की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए औषधीय पोधो का कृषिकीकरण करना है।
राष्ट्रीयऔषधीय पादप मिशन के अंतर्गत औषधीय पौधों की खेती एवं औषधीय पौधों की नर्सरी की स्थापना हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है।
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