पिछले अनेक वर्षों से अनेक फलों और सब्जियों के उत्पादन में हम विश्व में सर्वोच्च स्थान पर सुशोभित है। परन्तु एक सच्चाई यह भी है कि उत्पादित फलों और स सब्जियों का एक बहुत बड़ा हिस्सा (लगभग 30-40 प्रतिशत तक) उपयोग में आने से पूर्व ही नष्ट हो जाता है। कटाई उपरांत परिवहन एवं संग्रहण में फलों और सब्जियों की न केवल मात्रा में हानि होती है अपितु उनकी गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है – जिससे वे अनेक बार मानव उपयोग के योग्य नहीं रह पाते हैं। इन्हीं समस्याओं के समाधान हेतु शून्य ऊर्जा शीत गृह का निर्माण किया गया है
हमारे देश की एक प्रमुख समस्या खेती की कम जोत भी है। कम जोत के क्षेत्रफल से उत्पादन भी कम होता है और कम उत्पादन को यदि प्रतिदिन शहर लाकर बेचा जाये यह किसान भाईयों के लिये काफी महंगा पड़ता है। इसके अलावा भण्डारण के दौरान फलों और सब्जियों में यदि नमी की मात्रा में कमी आ जाये तो उनका बाजार भाव काफी गिर जाता है जिससे किसानों को अपनी उपज का पूर्ण मूल्य नहीं मिल पाता है।
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सुरक्षित भण्डारण:-
फलों और सब्जियों का एक बड़ा हिस्सा तोड़ने और उनको बाजार तक सुरक्षित पहुँचाने में मार्ग में ही नष्ट हो जाता है। इस कारण एक ऐसी ग्रामीण उपयोगी तकनीकी की आवश्यकता है जिसके द्वारा किसान फलों और सब्जियों का अपने खेत पर ही कुछ समय के लिये सुरक्षित भण्डारण कर सकें।
शून्य ऊर्जा शीत गृह:-
शून्य ऊर्जा शीत गृह एक ऐसी ग्रामीण उपयोगी तकनीकी है जिसका लाभ हमारे किसार भाई अपने फलों और सब्जियों को ताजा रखने में कर सकते हैं। साथ ही इस तकनीकी का उपयोग सब्जी और फल मण्डियों में भी कारगर हो सकता है, जहाँ पर शाम को सब्जियों में नमी के ह्रास के कारण फेंकना पड़ता है।
इस शून्य ऊर्जा शीत गृह में तेज गर्मियों में भी पत्तेदार सब्जियाँ 3 दिन और अन्य फल-सब्जियाँ एक सप्ताह तक बिना किसी गुणवत्ता के ह्रास के सुरक्षित भण्डारित की जा सकती हैं।
जबकि बाहर भण्डारण करने पर वे एक या दो दिन बाद ही खराब हो जाती हैं। इसी प्रकार सर्दियों में पत्तेदार सब्जियाँ शून्य ऊर्जा शीत गृह में 8 से 10 दिन और अन्य सब्जियाँ डेढ़ से दो सप्ताह तक बिना किसी नुकसान के उनके मूल स्वरूप को बनाये रखते हुए ताजा रखी जा सकती हैं। फलों का तो और भी अधिक दिनों तक सुरक्षित भण्डारण किया जा सकता है।
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आवश्यक सामग्री:-
इन शून्य ऊर्जा शीत गृह के निर्माण की विधि भी अत्यन्त सरल और सस्ती है। इसके निर्माण में कच्ची ईंटें, रेती, बांस, खसखस की टाटी और एक प्लास्टिक की चद्दर की आवश्यकता होती है। ये सभी सामग्री सामान्यतया प्रत्येक गाँव, ढाणी में आसानी से उपलब्ध होती है।
अतः शून्य ऊर्जा शीत गृह के निर्माण में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिये। इसके अलावा पानी के लिये एक छोटी टंकी और फलों और सब्जियों को रखने के लिये प्लास्टिक की टोकरियों की आवश्यकता होती. है। इस तरह से केवल 1000 रुपये के खर्च से ही एक अस्थाई शीत गृह का निर्माण किया जा सकता है।
शून्य ऊर्जा उपयोग:-
जिसको उपयोग में लाने के लिए किसी भी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। शून्य ऊर्जा शीत गृह के निमार्ण के लिये खुली छायादार जगह का चुनाव करना चाहिए जहाँ पर हवा का प्रवाह निरंतर होता हो जिससे जल का वाष्पीकरण हो सके और कक्ष के तापमान में कमी और नमी में बढ़ोतरी हो सके।
निर्माण की विधि:-
चबूतरे का निर्माण:-
हवादार और छायादार खुले स्थान पर कच्ची ईंटों को जमाकर एक आयताकार चबूतरे का निर्माण किया जाता है। 100 किलो तक की फलों और सब्जियों के भण्डारण के लिये करीब 500 ईंटों की आवश्यकता होती है। करीब 165 x 115 सें.भी का एक चबूतरा बनाया जाता है। इस चबूतरे पर गारे की सहायता से स्टों की दोहरी दीवार का निर्माण किया जाता है।
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ईंटों की दोहरी दीवार:-
ईंटों की दोहरी दीवार के मध्य -~8 सें.मी. तक स्थान खाली रखा जाता है। दोहरी दीवार की ऊँचाई 60 से 65 सें. भी तक रखी जाती है। अपनी आवश्यकता अनुसार लम्बाई में परिवर्तन तो किया जा सकता है परन्तु चौड़ाई उतनी ही रखनी चाहिये जिससे फलों और सब्जियों के रखने है और निकालने में किसी प्रकार की कोई भी परेशानी नहीं आये।
रेत का उपयोग:-
इसके पश्चात् नदी की छनी हुई रेत को जल में भिगोकर दोहरी दीवार के मध्य बने खाली स्थान में भरा जाता है। रेत को जल से गीला करके भरा जाये तो रेत ईंटों के मध्य बनी जगह से बाहर नहीं निकल पाती है।
बांसों को चीर करके | उनकी टाटी या बोरी के टुकड़ों से एक ढक्कन का निर्माण किया जाता है। इस | ढक्कन की लम्बाई और चौड़ाई पूरे भण्डारण कक्ष के समकक्ष रखी जाती है।
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कूलिंग सिस्टम:-
एक छोटी-सी पानी की टंकी को 4-5 फीट की ऊँचाई पर रख देते हैं। जिसमें एक पाइप को लगा दिया जाता है। पाइप को ईंटों की दोहरी दीवारों के मध्य | चारों तरफ घुमाया जाता है, साथ ही पाइप में 15-15 सें.मी. की दूरी पर सुई या | ऑलपिन की सहायता से छेद कर दिये जाते हैं जिससे जल का बूंद-बूंद करके रिसाव होता है और यह पानी रेत को गीला रखता है।
रेती के साथ ही ईंटें भी पानी से तर हो जाती हैं। फलों और सब्जियों को प्लास्टिक की टोकरियों में रख कर उन्हें इस शून्य ऊर्जा शीत गृह में रख दिया जाता है और ऊपर से ढक्कन लगा दिया जाता है। हवा के चलने से पानी का वाष्पीकरण होता रहता है और शीत गृह के अन्दर का तापमान कम हो जाता है साथ ही साथ शीत गृह के अन्दर नमी की मात्रा भी बढ़ जाती है।
एक बार पानी से तर करने के पश्चात 100 किलो फलों की क्षमता वाले शीत गृह के लिये प्रतिदिन करीब दो से तीन बाल्टी जल की आवश्यकता होती है। हमारे प्रदेश में गर्मियों में तापमान अत्यधिक 40 से 45 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता अंश 10-15 प्रतिशत के लगभग रहता है।
इतनी भीषण गर्मी में भी शीत गृह के अन्दर का तापमान बाहर के तापमान से 10-15 डिग्री सेल्सियस कम अर्थात 25 से 30 डिग्री | सेल्सियस एवं आर्द्रता अंश 85 से 90 प्रतिशत तक रहता है जो सभी फलों और सब्जियों के सुरक्षित भण्डारण के लिये आदर्श वातावरण है।
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उपयुक्त तापमान:-
लगभग सभी फलों और सब्जियों के सुरक्षित भण्डारण के लिए उपयुक्त तापमान एवं आर्द्रता अंश को शून्य ऊर्जा शीत गृह में विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार यह शीत गृह दोनों तरह के मौसमों में फलों एवं सब्जियों के लिये आदर्श वातावरण प्रदान करता है जिससे फलों और सब्जियों में जल की मात्रा में कमी नहीं आ पाती है और वे लम्बे समय तक बिना गुणवत्ता की हानि के ताजा अवस्था में बनी रहती है।
प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग में शून्य ऊर्जा शीत गृह का निर्माण करवा कर उसमें विभिन्न प्रकार के मौसमी फलों और सब्जियों का भण्डारण किया गया।
तालिका में विभिन्न फलों, पत्तेदार सब्जियों और अन्य शाकों के सुरक्षित भण्डारण काल को प्रदर्शित किया गया है। सारणी से स्पष्ट होता है कि शून्य ऊर्जा शीत गृह में उत्पादों को बाह्य वातावरण की अपेक्षा दो-तीन गुना अधिक समय तक सुरक्षित रूप से भण्डारित किया जा सकता है। इसके साथ ही जहाँ बाह्य वातावरण में फलों और सब्जियों के भार में अत्यधिक नुकसान होता है वही इस भण्डारण में उत्पादों के भार में न्यूनतम कमी होती है।
तेज सर्दियों में जब हमारे प्रदेश का तापमान 1 से 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। इस समय भी शीत गृह का तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जिससे फलों और सब्जियों को भीषण सर्दियों के प्रकोप से भी बचाया जा सकता है। इस तरह बिना किसी ऊर्जा के किसान भाई फलों और सब्जियों में होने वाले नुकसान को कम करके न केवल अपनी अपितु सम्पूर्ण देश की आर्थिक प्रगति में अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं।
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शून्य ऊर्जा शीत गृह के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु:-
- कक्ष में तापमान बाहर के तापमान से 10-15° सेल्सियस नीचे रहता है।
- कक्ष की वायु में नमी की मात्रा 80 से 85 प्रतिशत, जबकि वायुमण्डल में नमी 40 से 45 प्रतिशत ।
- इस पूरी कार्य प्रणाली के लिए किसी प्रकार की ऊर्जा जैसे बिजली आदि की
- आवश्यकता नहीं होती है।
- रखरखाव के लिए कोई खर्च नहीं। 5. इसमें सिर्फ 8 से 10 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
- इसे घर, खेत या सब्जी मण्डी आदि में कहीं भी बनाया जा सकता है।
- गलियों व सड़कों आदि पर सब्जी बेचने वालों के लिए भी यह बहुत उपयोगी
- सब्जियाँ बेचने के दौरान पूरे दिन ताजा बनी रहती है।
- है।
- बिना बिकी सब्जियों को अगले दिन बेचने के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।
- किसान रोजाना अपनी सब्जियाँ न बेचकर इकट्ठी करके बेच सकता है जिससे उसके समय एवं पैसे की बचत होगी।
शून्य ऊर्जा शीत गृह का निर्माण एवं उपयोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखे।
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