खरीफ की अधिकांश फसलों में सफेद लट का प्रकोप होता है। इस कीट की प्रोड अवस्था (बीटल) व लट अवस्था दोनों ही नुकसान करती है। फसलों में लट एवं पेड़ पौधों में कीट द्वारा नुकसान होता है। इसकी रोकथाम निम्न प्रकार से करें।
सफेद कीट, प्रौढ़ कीट (भृंग) का नियंत्रण
मानसून या उसके पूर्व की भारी वर्षा एवं कुछ क्षेत्रों के खेतों में पानी लगने पर जमीन से भृंगों का निकलना शुरू हो जाता है। भृंग रात के समय जमीन से निकलकर खेजड़ा, बेर, नीम ,अमरूद एवं आम आदि पर परपोषी वृक्षों पर बैठते हैं। भृंगों का निकलना चार-पांच दिन तक चालू रहता है। सफेद लट से प्रभावित क्षेत्रों में परपोषी वृक्षों पर भृंग रात में विश्राम करते हैं। ऐसे वृक्षों को रात में छांट ले और दूसरे दिन निम्न रसायनों में से किसी एक रसायन का छिड़काव इन्हीं वृक्षों पर करें। भृंग निकलने के 3 दिन बाद अंडे देना शुरू होता है इसलिए तुरंत छिड़काव लाभदायक है।
मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल. 25 मि.ली. या क्यूनॉलफॉस 25 ई.सी. 36 मि.ली. या कार्बेरील 50% घुलनशील चूर्ण 72 ग्राम 1 पीपे पानी में मिलाकर छिड़काव करें। एक पीपे की मात्रा 18 लीटर मानी जाए।
जहां व्यस्क भृंगों को परपोषी वृक्षों से रात में पकड़ने की सुविधा हो उन जगहों पर भृंग एकत्रित कर तेल के पानी में डालकर नष्ट करें।
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लटो वाली अवस्था में नियंत्रण:-
बीच के साथ रसायन मिलाकर:-
बाजरा:-
एक हेक्टर में बोए जाने वाले बीज में 12 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3% या क्यूनालफॉस 5% कण मिलाकर बाई करें।
मूंगफली:-
80 किलो बीज में 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. मिलाकर बुवाई करें।
बुवाई/रोपाई से पूर्व दानेदार दवा भूमि उपचार:-
1 हेक्टेयर में 25 किलो फोरेट 10% या क्यूनालफॉस 5% या कार्बोफ्यूरान 3% में से कोई एक दवा को बुवाई से पूर्व हल द्वारा कतारों में ऊर दे तथा इन्हीं कतारों पर बुवाई करें। मिर्ची की पौध की रोपाई से पूर्व पौधे के नीचे बताई गई मात्रा के अनुसार दवा का प्रयोग करें।
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