पॉलीहाउस

सरंक्षित खेती- ग्रीन हाउस में सब्ज़ियों की खेती

सरंक्षित खेती
Written by Vijay Gaderi

सरंक्षित खेती (Protected Cultivation) पोली हाऊस व शैड नैट हाउस में खेती सबसे पहले में आपको अपना परिचय देता हूँ ताकि आगे से वार्तालाप व अन्य जानकारी के आदान -प्रदान करने में सुविधार हे।

सरंक्षित खेती

मै हरीशचन्द्र कासनिया गांव महियांवाली जिला श्रीगंगानगर (राज.) का हूँ मो.:- 9413535900 हैं मैंने 2003-04 में औषधीय व सुगंधीय पौधों की नर्सरी से शुरुआत की बाद मे बागवानी नर्सरी आरम्भ की जो भारत सरकार (NHB) व राज्य सरकार (राजहंस) से मान्यता प्राप्त हैं।

मेरे उपयुक्त कार्य को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार से कृषि रत्न, हर्बल किंग ऑर्नामेंटल किंग, कृषि वैज्ञानिक सहित अनेको अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए।

अब बात करते है, परम्परागत खेती से आधुनिक खेती यानि सरंक्षित खेती (Protected Cultivation) की।

पिछले 5 से 6 महीने से इस ग्रीनहाउस खेती के बारे विस्तृत जांच-पड़ताल कर रहा हूँ, इस दौरान राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, गुजरात, कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों में लगे ग्रीनहाउसों को देखा।

वहां के किसानों से नफे-नुकसान, बिक्री ,खेती के तरीकों, तापमान, वर्षा, आंधीतूफान, लागत, सब्सिडी, बैंकलोन -सहित अन्य कई विषयों पर विस्तृत बातचीत की हैं।

इसके इलावा कई राज्यों के हॉर्टिकल्चर व कृषि विभाग के स्थानीय स्तर के कर्मचारियों व उच्च अधिकारियों से भी बातचीत की हैं व ग्रीनहाउस तैयार करने व सप्लाई करने वाली कंपनियों को भी देखा व उनके मालिकों व अधिकारियों से बातचीत की।

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सरंक्षित खेती के लाभ:-

उपरोक्त 5-6 महीनों में मैंने जो देखा महसूस किया व समझा उसका सारांश आपसे सांझा करना चाहता हूँ।

ग्रीनहाउस के अंतर्गत पोलीहाऊस या शेडनेट हाउस लगाया जाता है इसमे उगाई जाने वाली बेमौसमी सब्जियों का अच्छा उत्पादन, उच्च गुणवत्ता वाला होता है व बाजार भाव अच्छा मिलता है।

पानी, खाद, कीटनाशक की कम आवश्यकता पड़ती है व नियंत्रित मात्रा मे दिया जाता है। अतः लागत कम आती हैं।सारांश यह है कि खुले की अपेक्षा ग्रीनहाउस मे खेती बहुत ही लाभ का सौदा है।

पोलीहाऊस की बजाय शैडनैट:-

अगली बात लागत की करते हैं अपने क्षेत्र में पोलीहाऊस की बजाय शैडनैट हाउस कामयाब रहेगा जिसकी लागत पोलीहाऊस की बजाय बहुत कम है।

सब्सिडी एन.एच.बी द्वारा 50% निधारित हैं लेकिन सरकार की नीति अनुदान बंद करने की है इसलिए पिछले तीन सालो मे कोई अनुदान सरकार द्वारा नहीं दिया गया है।

अतः अब किसानों को अनुदान की सोच छोड़कर यह कार्य अपने स्तर पर व बैंक से लोन लेकर करना पड़ेगा। चूंकि बैंक भी संरक्षित खेती को लाभप्रद मानता है इसलिए इस पर 75% तक लोन दे देता है बैंक यह भी मानता है कि बिना अनुदान के खेती कर लोन चुकाकर लाभ कमाया जा सकता है अतः बैंक को लोन देने मे कोई दिक्कत नही आती है।

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कम लागत:-

सरकार द्वारा अनुदान बंद करने की नीति के कारण ग्रीनहाउस तैयार करने वाली कंपनियों ने अपना मुनाफा कम करके नये तरीके से डिज़ाइन कर कम लागत वाले प्रोजेक्ट तैयार करने शुरू कर दिये है अतः किसान द्वारा कम लागत पर ग्रीन हाउस तैयार किया जा सकता हैं।

किसान श्री विजय कुमार की कहानी:-

अब में एक किसान श्री विजय कुमार जिला हाउसर तमिलनाडु की कहानी बताना चाहता हूँ जिससे मेने बात की, इनके दोनों हाथ नहीं है, जमीन में पानी नहीं है जिसने जमीन में पानी ढूढने के लिए एक करोड़ तीस लाख खर्च किये।

सकरात्मक सोच व हिम्मत से मीठा पानी खोज लिया व 450 फुट गहरा ट्यूबवैल लगाकर पानी निकाल लिया। वह हाईटैक पोलीहाऊस लगाकर कटफ्लावर की खेती कर रहा है।

मैं इस किसान से बहुत प्रभावित हुआ हूँ। इन शारारिक, आर्थिक एव भूगोलिक

हालातों में बहूत अच्छा काम कर सकता है तो अपने यहां के हालात तो बहुत अच्छे है।

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आमदनी:-

अंतिम सबसे महत्वपूर्ण विषय आमदनी है। मेरे द्वारा की गई जांच-पड़ताल के अनुसार कह सकता हू कि, एक एकड़ (4000 वर्गमीटर) जोकि ग्रीन हाउस की एक इकाई है में से किसान फसलानुसार छः लाख से सोलह लाख तक सालाना शुद्ध कमाई कर सकता है,

जबकि कटफ्लॉवर व जरबेरा फूलों आदि की खेती करके बीस से चौबीस लाख की शुद्ध आमदनी प्राप्त कर सकता है।जबकि इसके लिये हाईटेक महंगा पोलीहाऊस फैन व पैड वाला बनाना पड़ता है।

मेँ आप सभी बुद्धिजीवी किसान भाइयों से अनूरोध करता हूं कि आप इस लेख पर ग्रीनहाउस से संबंधित अपने अनुभव जानकारी सांझा करें व अपने सुझाव प्रकट करें ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।

कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक और शेयर करें ताकि सभी किसान भाइयों को नई जानकारी मिल सके।

आदर सहित

आपका भाई हरीश कासनियां

9413535900

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