“जब से चला हूं मेरी मंजिल पर नजर है, आज तक मैने मील का पत्थर नहीं देखा।” यह कहावत सटीक बैठती है, सोनीपत के आहुलाना गांव के 23 साल के युवा नीरज कुमार प्रजापति पर, जो कॅरिअर पर फोकस करने की बजाए जैविक जागरूकता का संचार कर लोगो को जैविक खेती की प्रेरणा दे रहे हैं। देशभर में साइकिल यात्रा कर जैविक खेती का सन्देश देने निकल पड़े। इसकी वजह पंजाब के बठिंडा से हरियाणा होते हुए राजस्थान के बीकानेर जाने वाली वो ट्रेन है, जिसका नाम कैंसर ट्रेन पड़ गया।
बी.टैक के पांचवे सेमेस्टर से ड्रॉपआउट इस युवा को इस चीज ने अंदर से बैचेन कर दिया कि उपज बढ़ाने के लिए पंजाब-हरियाणा के किसानों ने जिस तरह अनाप-शनाप यूरिया और रासायनिक खाद डालकर खेतों को ही बंजर बना दिया, जिसकी वजह से इन राज्यों में कैंसर ने इस कदर पांव पसार लिए कि ट्रेन तक का नाम कैंसर ट्रेन पड़ गया।
कैंसर रोगी इलाज के लिए काफी संख्या में इस ट्रेन से सफर करते हैं। इस चीज ने नीरजकुमार प्रजापति को व्यथित कर दिया और उसने ठान लिया कि किसानों को ऑर्गेनिक खेती की तरफ मोड़ने के लिए वे प्रयास करेंगे। 9 अप्रैल 2019 को साइकिल उठाई और यह युवा निकल पड़ा देशभर में किसानों को जागरूक करने के मिशन पर।
9 अप्रैल 2019 को शुरू किया सफर
हरियाणा के सोनीपत से 9 अप्रैल 2019 की अपना सफर शुरू कर चुका नीरज दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब सहित सात राज्यों में अब तक 22596 किमी का सफर पूरा कर चुका है। नीरज का यह साइकिल सफर एक लाख 11 हजार 111 किमी का होगा।
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साकार कर रहे नारा
नीरज प्रजापति ने बताया कि उनका परिवार जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा साकार कर रहा है। उनके पिता भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। बड़ा भाई इंजीनियरिंग के बाद दिल्ली में रहते हुए विज्ञान क्षेत्र में कुछ नवाचार कर रहा है। वे खुद किसानों की समस्या को लेकर साइकिल यात्रा पर निकले है।
खेत खराब और स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा
युवक ने बताया अपनी उपज बढ़ाने के लिए किसान जिस तरह के रसायनों का उपयोग कर रहे हैं उससे खेत खराब हो रहे हैं, तो लोगों का स्वास्थ्य भी को भी बिगड रहा हैं। इससे बचाव करना आवश्यक हैं। इसके बाद वे किसानों को जैविक खेती की ओर अग्रसर करने के लिए जागरूक करने निकल पड़े।
राजस्थान के इन जिलों में पूरी की साइकिल यात्रा
नीरज प्रजापति ने 23 फरवरी-2020 से 22 मार्च 2020 तक राजस्थान के सीकर, झुंझुनूं, जोबनेर, दाता, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर और झालावाड़ होते हुए 2635 किमी की यात्रा पूर्ण की। इस प्रकार नीरज 4509 किमी की साइकिल यात्रा पूर्ण कर जैविक जागरूकता का संचार कर चुके हैं। वे जल्द ही जयपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में सफर करेंगे।
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रोजाना करते है सौ से सवा किमी सफर
उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सौ से सवा सौ किमी का सफर करते हैं। आगामी दिनों में उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जम्मू-कश्मीर पंजाब होते हुए हरियाणा के लिए सफर तय करेंगे। वे बताते हैं कि उनका जज्बा देखकर लोगों ने ही चंदा एकत्र कर साइकिल दिलाई है। दिन में किसानों से मुलाकात करते हैं। किसी किसान को खेती-किसानी में समस्या आ रही है तो वे खुद ही कृषि वैज्ञानिकों से बात कर समाधान करवाते है। रात को कृषि विज्ञान केंद्र, धर्मशाला या किसी किसान के यहां ही पड़ाव देते हैं। उनका खाना-पीना और ठहराव आदि जागरूक लोगों पर ही निर्भर है।
किसानों से साझा करते हैं अनुभव
सफर के दौरान किसी खेत में कोई नवाचार, नए औजार, नए उपचार या ऐसी कोई जानकारी सामने आती है तो इसकी पूरी जानकारी जुटाते हैं तथा इसे अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं, ताकि अन्य किसान भी नवाचार अपना सके। सफर के दौरान किसानों से मिलते हुए जैविक खेती के फायदे एवं रासायनिक खाद के इस्तेमाल के नुकसान बताते हैं।
कैंसर पीड़ित लोगों की दास्तान सुनाकर प्रेरणा देते हैं कि इससे बचाव करना आवश्यक है। किसानों को यह सलाह देते हैं कि एकदम से रासायनिक खाद का इस्तेमाल बंद करने से उपज घट सकती है तो आर्थिक नुकसान भी होगा। इसलिए धीरे-धीरे रासायनिक खाद का इस्तेमाल घटाते हुए पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। देसी खाद के साथ जैविक दवाइयों के इस्तेमाल का भी आग्रह कर रहे हैं।
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लैब टू लैंड का सिद्धांत लोकप्रिय हो
साइकिल यात्रा के अपने इस भ्रमण के दौरान किसान भाईयों को जैविक बाजार एवं जैविक उत्पादों के विपणन के संबंध में विशेष रूप से जागरूक करते हैं। किसानों को जैविक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के बारे में अवगत करवाता है। मार्ग में नीरज कृषि शिक्षार्थियों से भी संवाद स्थापित करता है। इनका स्वप्न है कि देश में लैब टू लैंड का सिद्धांत लोकप्रिय हो ताकि किसान को उचित माध्यम द्वारा खेत पर ही नवीन तकनीक से रू-ब रू करवाया जा सके।
नीरज ने यह साबित कर दिया है कि यदि इरादे नेक हों और लक्ष्य में पवित्रता हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। दृढ निश्चत और अनुशासन के साथ आगे बढ़ते हुए कुछ भी हासिल किया जा सकता है। आज पूरे देश में घूम-घूम कर इन्होंने जैविक संचार के माध्यम से हजारों किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया।
नीरज बहुत जल्द ही विश्व रिकार्ड के करीब होंगे। इनसे प्रेरणा लेकर देश में किसान जैविक खेती के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे तो निश्चित रूप से आने वाला समय जैविक खेती का होगा। एक खुशहाल भारत का समय होगा। जैविक खेती करके हम हमारे देश की कृषि को सुरक्षित रख सकते हैं।
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