लंबे समय तक इस्तेमाल किए जा सकने वाले डिब्बाबंद भोजन की तरह पशुओं के लिए ‘गड्ढाबंद’ भोजन है साइलेज। जब हरे चारे की कमी हो तब पशुओं को साइलेज खिलाया जा सकता है। जाने इसे कैसे बनाया जाता है। दुधारू पशुओं को साल भर हरा चारा मुहैया कराना बड़ी चुनौती है। यही पर साइलेज की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
इस तरह से यह हमारे डिब्बाबंद भोजन की तरह ही, ‘प्रिजर्व्ड’ हरा चारा होता हैं।जब हरे चारे की उपलब्धता कम हो या वह अच्छी गुणवत्ता वाला न हो, तब पशुओं को साइलेज खिलाया जा सकता हैं। साइलेज पौष्टिक आहार का अच्छा स्त्रोत हैं।नियमित रूप से इसे खिलाने से दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ता हैं।
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साइलोपिट:-
साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले साइलोपिट (गड्ढा) बनाया जाता है।इसके लिए किसी शुष्क स्थान का चयन करें, जो थोड़ी ढलवां जमीन पर हो।इससे यह होगा कि गड्ढे की गहराई एक और अधिक हो दूसरी और कम होगी। गड्ढे के समूचे भीतरी हिस्से पर पॉलिथीन शीट बिछा दे, ताकि इसमें भरा जाने वाला चारा मिट्टी व नमी के संपर्क में बिल्कुल ना आने पाएं।
चारे की कुट्टी:-
अब जिस हरे चारे का उपयोग किया जाना है, उसे 2 से 5 सेमी लंबे टुकड़ों में काटकर कुट्टी बनाले। दाने वाली फसलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा आदि को साइलेज बनाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। अब इस कुट्टी कोसाइलो पिट में दबा-दबा कर भर दे।चारे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इसका यूरिया से उपचार किया जा सकता है।
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कुट्टी को पीट में भरने के बाद इसके ऊपर भी पॉलिथीन शीट बिछा दे व उसके ऊपर करीब 20 सेमी मोटी मिट्टी की परत बिछा दे। इस परत को गोबर व चिकनी मिट्टी से लिपे। यदि इसमें दरारें पड़े, तो उन्हें मिट्टी से बंद करते रहें ताकि गड्ढे में हवा-पानी न पहुंच सके।
कैसे खिलाएं:-
पिट के अंदर 50 से 60 दिन में साइलेज बन कर तैयार हो जाताहै।अब जब भी जरूरत हो, तब गड्ढे को एक और (ढलान के निचले सिरे) से खोलकर आवश्यकता अनुसार साइलेज निकाले।व वापस पॉलिथीन व मिट्टी से ढकले।
शुरु-शुरु में पशु ज्यादा साइलेज नहीं खाता मगर यदि आप बार-बार उसे देते हैं तो खाने लग जाता है।पशु को एक भाग सूखा चारा एक भाग साइलेज मिलाकर खिलाना ठीक रहता है। दुधारू पशुओं को दूध निकालने के बाद ही साइलेज खिलाए, अन्यथा दूध में साइलेज की गंध आ सकती है।
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