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सुभाष कंबोज की मधुमक्खी पालन से कमाई सालाना 4 करोड़

मधुमक्खी पालन से सुभाष कंबोज
Written by Vijay Gaderi

मेरा नाम सुभाष कंबोज हैं और में हरियाणा का रहने वाला हूँ, और मेने डीपीएड का डिप्लोमा भी किया हुआ है। में 10 एकड़ में खेती करता हु, और 1996 में खादी ग्राम उद्योग से मधुमक्खी पालन मधुमक्खी पालन के 6 बॉक्स से कार्य शुरू किया था, मकसद यह था की खुद के खाने लायक शहद का उत्पादन हो जाएगा, साथ ही फसलों में अच्छा पोलीनेशन भी होगा।

धीरे धीरे मधुमक्खियों का विकास होता गया एवं अच्छा उत्पादन भी हुआ। जिससे पहले साल ही बक्सों लागत निकल गई। ऐसे ही आगे बढ़ता गया और मधुमक्खी पालन में आ गया। देखते ही देखते अगले 5- 6 सालों में बक्सों की संख्या 400-500 तक पहुँच गई। आज हम सीजन की शुरुआत 1500 बक्सों से करते हैं। और सीजन के लास्ट तक जो बॉक्स ख़राब हो जाते हैं उन्हें हम बहार कर देते हैं।

मधुमक्खी पालन से सुभाष कंबोज

मधुमक्खी पालन में समस्या-

मधुमक्खी पालन में एक सबसे बड़ी समस्या है की आप यह काम एक जगह रहकर नहीं कर सकते हैं, अगर आप प्रोफेशनल मधुमक्खी पालक हैं तो आपको माइग्रेट करना पड़ेगा और एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ेगा, हम अपने बक्सों को लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, लाहौल स्पीति एवं कश्मीर तक जाते हैं। हर सीजन में अलग अलग फूल मिलते हैं, जिससे हमे फूलो को देखते हुए माइग्रेट करना पड़ता हैं। जब हम माइग्रेट करते हैं तब जाकर हमे भिन्न भिन्न शहद मिलता हैं और उस शहद को अलग अलग ही बेंचते हैं।

जब बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करते हैं तो उसमें समस्याएं तो बहुत  आती है क्योंकि रात को ही यह ट्रांसपोर्टेशन होती है। शाम को हमे बक्सों की गाड़ी में चढ़ाना होता हैं और सुबह तक बक्सों को खाली करना पड़ता हैं। पर जब हम इस काम में रिस्क लेते हैं तब जाकर हमे दो पैसे बचते हैं, बाकि एक जगह रखकर हम इस काम से ज्यादा आमदनी नहीं कमा सकते हैं।

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सुभाष कंबोज ने खुद बनाया मार्केट-

साल 2008 में जब हमे यह लगने लगा की शहद की रेट एक जैसी न रहकर काफी ऊपर- निचे होती हैं, तो हमने खुद शहद मार्केट में बेचना चालू किया। देशभर से जैसे जैसे मांग आती गई हमारी सेल बढ़ती गई। आज हम सालाना 3- 4 करोड़ का शहद देशभर में बेच देते हैं। हम न सिर्फ अपना शहद बेच रहे हैं, बल्कि कुछ किसानो का ग्रुप बनाया हैं जिनके पास मधुमक्खियों के कम बक्से हैं, हम उनका शहद भी से बेच पर रहे हैं।

वेल्यू एडिशन प्रोडक्ट भी-

देशभर में जहाँ से हमे शहद मिलता हैं विभिन फूलों का हम उसे जरूर किसानो से खरीदते है, जिसमे हमारे पास 22 से 23 अलग- अलग फूलों का शहद हैं। न सिर्फ हमारे पास शहद हैं बल्कि इनके वेल्यू एडिशन प्रोडक्ट भी बनाये हैं जैसे की 5 प्रकार के विनेगर, 8 प्रकार के मुरब्बे, गुलकंद मोम, कोम्ब हनी, बी- प्रोपोलिश, बी- पोलन, बी- वेनम व रायल जैली भी तैयार करते हैं।

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सोशल मिडिया से मार्केटिंग-

शुरुआत में 1- 2 कस्टमर मिलते थे, फिर हमने B2B पोर्टल का सहयोग लिया, वहां से हमे खरीददार मिलने लगे। साथ ही गूगल एडवरटाइजमेंट और सोशल मिडिया का इस्तेमाल भी अपनी मार्केटिंग के लिए करते हैं।

सुभाष कंबोज की मन की बात कार्यक्रम में प्रशंसा-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में मधुमक्खी पालक किसान सुभाष काम्बोज का जिक्र करते हुए कहा कि अन्य लोग उनके व्यवसाय को अपनाकर आत्मनिर्भर बनें। आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में पूर्व अध्यापक की व्यवसाय की शैली अपने आप में एक उदाहरण है।

पुरस्कार एवं सम्मान-

सुभाष बताते हैं की उन्हें आईबीडीसी कुरुक्षेत्र में उनको हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हरियाणा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, उदयपुर विश्वविद्यालय व यमुनानगर के उपायुक्त रोहतास खर्ब द्वारा उन्हें मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में सम्मानित किया गया है।

सुभाष कंबोज ने ग्रामीणों को दिया प्रशिक्षण-

मेने अब तक 3 हजार से ज्यादा ग्रामीण लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में पारम्परिक फसलों के अलावा बाग भी लगाया हुआ है। जहां पर मधुमक्खियों को बॉक्स रखे जाते हैं।

संदेश-

मेरा युवाओं से कहना हैं की किसी भी काम को छोटा न समझे। जब हम किसी भी काम को मेहनत और लगन से करते हैं, तो हमे उसमे सफलता जरूर मिलती हैं।

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अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-

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