सोनाली मुर्गी ब्रीड की देसी मुर्गी की तरह ही होती है। यह देसी मुर्गी की तुलना में अधिक अंडे देती है और इसका वजन भी अधिक होता है। इसके अलावा इन मुर्गियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी पाल्ट्री की तुलना में बेहतर होती है। ज़्यदातर किसान भाई बॉयलर किस्म से मुर्गी पालन करते है।
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बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता:-
देसी मुर्गी की तुलना में बॉयलर मुर्गी पालको को कई तरह की समस्यों का सामना करना पड़ता है, जैसे की इस वेरायटी में बीमारिया भी अधिक आती है, जिनकी रोकथाम के लिए बहुत अधिक मात्रा में दवाइयों का इस्तेमाल वेक्सिनेशन के लिए करना पड़ता है, अतः इनसे प्राप्त चिकन भी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। साथ ही मुर्गी पालन में खर्चा भी अधिक आता है।
मेडिसिन का खर्चा कम:-
सोनाली मुर्गी की देसी वेराइटी का इम्युनिटी पावर अधिक होने से मेडिसिन की अधिक जरुरत नहीं पड़ती है। साथ ही इससे प्राप्त होने वाला चिकन भी बढ़िया और सेहत फायदेमंद होता है।
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डबल फायदा:-
सोनाली मुर्गी पालन दो तरह से होता है। एक सिर्फ अंडे प्राप्त करने के लिए, इसमें 4 महीने लगते है, जो डेढ़ साल तक अंडे देगी और दूसरा चिकन बेचने के लिए जिसके लिए 3 महीने इंतजार है।
फीडिंग:-
सोनाली मुर्गी को ज्यादा फीड की जरूर नहीं होती है, ये अपने आस-पास घास में पैदा होने वाले कीड़े मकोड़े खाकर बड़ी हो जाती है। यदि कोई मुर्गी पालक भाई सिर्फ फीड देकर मुर्गी पालन करना चाहता है तो 3 किलोग्राम फीड खिला कर 1.20 किलोग्राम वजन प्राप्त कर सकता है। सोयाबीन, मक्का की पिसाई कर के घर पर मुर्गी का फीड बना सकते है।
300-350 रुपए किलो बिकती है मुर्गियां:-
मदर ब्रीड सेंटर से 20-30 रुपए प्रति पीस के दर से आप हेचरी से चूजा खरीद कर मुर्गी पालन की शुरुआत कर सकते हैं। लगभग चार से छह महीने में मुर्गियों का वजह एक से डेढ़ किलो तक हो जाता है। पूर्ण व्यस्त होने पर आप इन्हे 300-350 रुपए किलो की दर से सकते हैं।
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