भारत में सरसों की खेती (Sarso Ki Kheti) को महत्वपूर्ण तिलहनी फसल माना जाता है, जो मुख्यतया उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम और गुजरात में उगाई जाती है, किसान भाई सरसो की फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए काफी सारी अधिक उत्पादन वाली किस्मे काम में लेते हैं, इसी कड़ी में एचएयू में सरसों की नई किस्म RH 725 विकसित की। इस किस्म से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है, इसलिए यह किस्म किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। तो आइये जानते हैं इस किस्म के बारे में:-
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आरएच 725 किस्म की विशेषताएं:-
सरसों की RH 725 किस्म के प्रजनक डा. राम अवतार ने इसकी विशेषताओं के बारे में बताते हैं-
यह प्रजाति 136 से 143 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।
इसकी फलियां लंबी होती हैं व फलियों में दानों की संख्या 17-18 तक है तथा दानों का आकार मोटा है।
इनके अतिरिक्त इसकी फलियों वाली शाखाएं लंबी होती हैं एवं उनमें फुटाव भी ज्यादा है।
ऐसे में कोहरे और सर्दी की अधिकता के अनुमान को देखते हुए किसानों के लिए सरसों फायदे का सौदा हो सकती है।
गेहूं के साथ सरसों की अच्छी फसल किसानों को नुकसान होने से बचा पाती है। सरसों की ये वैरायटी काफी पसंद भी की जा रही है।
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बीज की मात्रा:-
अगर किसान भाइयों आप सरसो की इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसकी मात्रा 1 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होगी।
सिंचाई:-
सरसों की इस किस्म को लगभग 2 सिंचाइयों की आवश्यकता होती हैं।
किस्म का उत्पादन:-
RH 725 किस्म का उत्पादन 25 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता हैं।
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